गर्मी में पशुओं को हीट स्ट्रोक या सन स्ट्रोक से बचाव हेतु रखे विशेष ध्यान

AYUSH ANTIMA
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कोटपूतली (रमेश बंसल मुन्ना): गर्मी में पशुओं को हीट स्ट्रोक या सन स्ट्रोक से बचाव हेतु रखे विशेष ध्यान रखने की अपील की जा रही है। पशुपालन विभाग उपनिदेशक डॉ.हरीश क़ुमार ने बताया कि पशुओं में ग्रीष्म ऋतु में बढ़ा हुआ तापमान अत्यधिक परेशानी पैदा करता है, क्योंकि अधिक गर्मी से पशु तापघात का शिकार हो जाता है। उन्होंने बताया कि गर्मी के मौसम में वातावरण का तापमान अधिक हो जाता है तो ऐसी स्थिति में पशु को अधिक देर तक धूप में रखने या सीधे गर्म हवा के संपर्क में आने से पशु को लू लग जाती है एवं यदि पशु अधिक देर तक लू के संपर्क में रहता है तो उसे हीट स्ट्रोक या सन स्ट्रोक हो जाता है, जिससे पशु की उत्पादन क्षमता घट जाती हैं या कभी कभी पशु की मौत भी हो जाती है।

*तापघात के लक्षण*

तीव्र ज्वर की स्थिति, पशु का हांफना यानी मुँह खोलकर श्वास लेना, मुँह से लार गिरना, पशु का बेचैन होना एवं भूख की कमी होना, पानी अधिक पीना एवं पेशाब कम होना या बंद होना, पशु की धडकऩ कम होना एवं कभी कभी आफरा की शिकायत होना आदि लक्षण है। 

*तापघात से बचने के उपाय* 

पशुओं को सूर्य की सीधी किरणों से दूर रखे, पशुओं को हवादार छप्पर या छायादार पेड़ों के नीचे रखे, पशुशाला को ठण्डा रखने के लिये दीवारों पर जूट की टाट लगाकर बार बार ठण्डे पानी से भिगोये ताकि बाहरी की हवा से ठंडक बनी रहे, पंखे एवं कूलर का प्रयोग करे, दिन में लगभग चार बार साफ एवं शीतल जल पिलायें, पशुओं को संतुलित आहार एवं उचित मात्रा में खनिज आहार देवे एवं सुपाच्य एवं उच्च गुणवत्ता का चारा खिलवायें, पशुओं को सुबह जल्दी व शाम को देर से खाना खिलायें, हरे चारे के लिये अजोला घास या अन्य हरा चारा का प्रायोग करे एवं साथ ही आहार में गेहूँ का चोकर या जौ की मात्रा देवे, पशुओं का परिवहन एवं अन्य संचालित गतिविधियां सुबह या शाम को करें, यदि किसी पशु की अधिक तबीयत खराब हो तो अपने निकटतम पशु चिकित्सा संस्था या 1962 कॉल सैंटर पर सूचित करें।

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