किसी के संयम को उसकी कमजोरी न समझे

AYUSH ANTIMA
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सनातन धर्म की परम्परा रही है कि किसी भी तरह का युद्ध अंतिम समय तक टाला जाए। यदि हम महाभारत मे देखे तो भगवान श्री कृष्ण ने उस युद्ध को टालने की अंतिम समय तक कोशिश की थी। रामायण काल में भी देखें तो मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने रावण से युद्ध टालने को लेकर हनुमान जी को लंका भेजा और यह सिद्ध करने की कोशिश की थी कि यदि उसका दूत ही लंका को जला सकता है तो आखिर युद्ध का क्या परिणाम होगा तत्पश्चात अंगद को कूटनीति के कारण रावण को आगाह करने के लिए भेजा परन्तु आखिर युद्ध हुआ। 
किसी के संयम को उसकी कमजोरी न समझी जाए, यह इस बात से सिद्ध होता है कि भगवान श्री कृष्ण ने संयम का परिचय देते हुए शिशुपाल की गलतियों को माफ किया लेकिन संयम का बांध टूटा और शिशुपाल का वध करना पड़ा था। यदि सनातन धर्म की उपरोक्त घटनाक्रम को देखे व आज के परिवेश में देखा जाए तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जो सनातन धर्म की पताका के वाहक के रूप में सत्ता पर काबिज है। पाकिस्तान की नापाक हरकतों को इसलिए बर्दाश्त करते गये क्योंकि उन्होंने संयम का परिचय देते हुए पाकिस्तान को मौके दिए लेकिन जब पाक समर्थित आतंकियों ने घाटी में धर्म पूछकर भारतीय लोगों का नर संहार किया तो एक देश के मुखिया का कर्तव्य का पालन करते हुए देश के लोगों की भावनाओं की कद्र करते हुए केवल आतंकी ठिकानों को ठिकाने लगाने का काम किया। नरेंद्र मोदी के संयम को पाकिस्तान ने कमजोरी समझ लिया, जो उसकी बहुत बड़ी भूल थी। देश आज सशक्त हाथो में है तथा वह हाथ किसी देश के आगे फैलाने के लिए काम में नहीं लिए जाते बल्कि अब देश की एकता व अखंडता पर जो प्रहार करेगा, उसकी गर्दन मरोड़ने के काम आते हैं और यह नरेंद्र मोदी ने सिद्ध कर दिया कि देश के प्रत्येक नागरिक की जान उनके लिए बहुमूल्य है और देश के हर नागरिक की रक्षा के लिए वह किसी भी हद तक जा सकते हैं। 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व के हर मंच से पाकिस्तान को आगाह किया कि आतंकवाद की फैक्ट्री को बंद करें व एक अच्छे पड़ोसी का बर्ताव करें लेकिन पाकिस्तान की सत्ता पर काबिज लोग उस कुत्ते की पूंछ की तरह है, जो कभी सीधी नहीं होती। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दृढ़ निश्चय व इच्छा शक्ति का इजहार करते हुए उस पूंछ को सीधा करने के बजाय काट ही दिया। इसलिए किसी भी व्यक्ति को अपने व्यवहारिक जीवन में भी किसी के संयम की परीक्षा लेने की भूल के साथ उसके संयम को उसकी कमजोरी समझने की भूल भी नही करनी चाहिए।

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