आयात विकल्प उत्पादों में राजस्थान बने अग्रणी राज्य

AYUSH ANTIMA
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जयपुर: अखिल राज्य ट्रेड एंड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आरतिया) ने राजस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन एंड इनोवेशन को विकसित राजस्थान @2047 के लिए महत्वपूर्ण सुझाव प्रेषित किए हैं। इस इंस्टीट्यूट की स्थापना नीति आयोग के निर्देशानुसार राजस्थान सरकार ने की है और लक्ष्य सुनिश्चित किया है विकसित राजस्थान। यह संस्थान आयोजना विभाग के अधीन कार्यरत है तथा मुख्यमंत्री इसके चेयरमैन हैं। इस संस्थान ने विकसित राजस्थान @2047 विजन डॉक्यूमेंट जारी कर सुझाव आमंत्रित किए थे, जिस पर टीम आरतिया ने एक बैठक आयोजित की और महत्वपूर्ण सुझावों के लिए मंथन किया। बैठक में विष्णु भूत, कमल कंदोई, आशीष सर्राफ, प्रेम बियाणी, ज्ञान प्रकाश, अजय गुप्ता, ओपी राजपुरोहित, तरुण सारडा, राजीव सिंघल, सज्जन सिंह, दिनेश गुप्ता और कैलाश शर्मा उपस्थित थे। टीम आरतिया का कहना है कि सबसे पहले राजस्थान सरकार इस इंस्टीट्यूट के रिक्त पदों को भरे, जिनमें उपाध्यक्ष, पूर्णकालिक सदस्य आदि के पद रिक्त हैं। इन पदों पर प्रदेश के उद्योग-व्यापार जगत के उन संगठनों से प्रतिनिधित्व दिया जाए, जिनके पास विजनरी एप्रोच हो। विजन डॉक्यूमेंट में राजकोषीय प्रबंधन को लेकर केवल प्रदेश के जीडीपी की चर्चा की गई है, जिसका आकार 2047 में 4.3 ट्रिलियन डॉलर आंका गया है। टीम आरतिया का कहना है कि राजस्थान सरकार वित्तीय प्रबंधन की कुशलता बढ़ाए तथा यह सुनिश्चित करे कि 2047 तक राजस्थान सरकार के बजट में न वित्तीय घाटा रहेगा न कर्ज का बोझ। औद्योगिक विकास के लिए आरतिया का सुझाव है कि राजस्थान को देश का सबसे बड़ा आयात विकल्प उत्पादक राज्य बनाने का रोडमैप सुनिश्चित हो। उल्लेखनीय है कि देश का कुल आयात गत वित्त वर्ष में 915.19 अरब डॉलर था, जिसमें चीन से आयात 114 अरब डॉलर के करीब रहा। राजस्थान सरकार फोकस करे उन उत्पादों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए, जिनका आयात हो रहा है, लेकिन राजस्थान में उत्पादन किया जा सकता है। एक उदाहरण बताया गया कि राजस्थान में पोटाश का भंडार 21 अरब टन के करीब है, जो कि देश का 90 प्रतिशत है। इससे खाद उत्पादन में राजस्थान को अग्रणी बनाया जा सकता है। इसी प्रकार, मस्टर्ड, ईसबगोल और बहुत सारे खनिजों में राजस्थान अग्रणी राज्य की श्रेणी में है। आरतिया ने यह भी सुझाया है कि विकसित राजस्थान @2047 के लक्ष्य निर्धारण के लिए प्रमुख उद्योग-व्यापार संगठनों की बैठक बुलाई जाए, जिसमें प्रत्येक संगठन को न्यूनतम 5-5 मिनट का समय दिया जाए। यह प्रक्रिया जिला और प्रदेश दोनों स्तर पर निष्पादित की जाए। टीम आरतिया ने प्रदेश के शिक्षा, चिकित्सा, परिवहन व ऊर्जा विभागों की कार्यप्रणाली में व्यापक सुधार करने तथा बेहतर जन सेवा डिलीवर करने के सुझाव दिए हैं। साथ ही जल संरक्षण के लिए तत्काल लापोड़िया मॉडल अपनाने की सलाह दी है, साथ ही यह भी बताया है कि पर्यटन व संस्कृति से रोजगार सृजन व जीडीपी में इजाफा कैसे सुनिश्चित हो।

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