संयुक्त अभिभावक संघ का विरोध रंग लाया, 3737 सरकारी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में एडमिशन प्रक्रिया शुरू

AYUSH ANTIMA
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जयपुर (श्रीराम इंदौरिया): प्रदेश के 3737 महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को मर्ज करने का खतरा अभी फिलहाल टल गया है। यह वो सरकारी अंग्रेजी माध्यम स्कूल है, जिन्हें राज्य सरकार ने कम नामांकन और अव्यवस्था के चलते मर्ज करने का निर्णय लिया था और वापस पुनः हिंदी माध्यम में मर्ज करने का प्रस्ताव तैयार किया था। राज्य सरकार के इस निर्णय का संयुक्त अभिभावक संघ ने प्रत्येक मोर्चे पर कड़ा विरोध करते हुए "सरकार पर प्रदेश की सरकारी शिक्षा व्यवस्था को नष्ट करने और निजी स्कूल संचालकों को संरक्षण देने का आरोप लगाया था।" बकायदा शिक्षा निदेशक आशीष मोदी ने निर्देश जारी किए थे कि जिन स्कूलों को मर्ज किया जाएगा, उनमें दाखिले देने से मना कर दिया था किंतु अब शिक्षा निदेशक ने 6 अप्रैल को जारी अपने आदेश को वापस ले लिया है और जिले सहित प्रदेश के सभी 3737 महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में दाखिले की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है।
संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि जनवरी माह में लगभग 450 सरकारी हिंदी माध्यम स्कूलों को मर्ज किया गया था, जिसके बाद से गरीब और जरूरतमंद अभिभावक बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता व्यक्त करने लगे थे क्योंकि जिन 450 सरकारी स्कूलों को मर्ज किया था, उनमें से लगभग 159 स्कूलों का अस्तित्व आजीवन समाप्त कर दिया गया था, इसके बाद राज्य सरकार ने महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को भी बंद करने का विचार किया था और बकायदा उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा की अध्यक्षता में समीक्षा समिति भी गठित की थी, इस समिति की बैठक अप्रैल माह में हुई थी, जिसमें 900 से अधिक महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को कम नामांकन और अव्यवस्था के कारण मर्ज करने का निर्णय लिया गया, जिसका हमने लगातार विरोध किया और साथ ही उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा को पुनः विचार करने के लिए पत्र लिखकर मर्ज करने के निर्णय का विरोध दर्ज करवाया था। संघ द्वारा किए गए विरोध की मेहनत रंग लाई और वर्तमान सत्र के लिए ही सही किंतु 1 साल के लिए बच्चों की पढ़ाई का संरक्षण हो गया है। स्कूलों को मर्ज करने का खतरा अभी टला नहीं है संघर्ष जारी रहेगा। राज्य सरकार अपने इस निर्णय पर पुनः विचार करे और स्कूलों में व्यवस्था सुनिश्चित करे, अभिभावक हर संभव सहयोग प्रदान करेंगे। शिक्षा विकास की सर्वोच्च नींव है इसको उखाड़ना मतलब देश के लगभग 50 फीसदी से अधिक बच्चों के भविष्य को अंधकार में धकेलने के सामान है। अभिभावकों से अपील है अधिक से अधिक संख्या में सरकारी स्कूलों में बच्चों का दाखिला करवाएं जिससे प्रदेश के सरकारी स्कूलों में फैली बदहाली को दुरुस्त करवाया जा सके।

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