जयपुर: विश्व होम्योपैथी दिवस पर चिकित्सक संघ की ओर से राजधानी में आयोजित की गई सेमिनार में प्रदेश के सरकारी चिकित्सकों को होम्योपैथिक चिकित्सा विभाग की निदेशक द्वारा बुलाए जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। गौरतलब है कि 'आयुष अंतिमा' के सोमवार, 14 अप्रेल के अंक में "विश्व होम्योपैथिक दिवस बना तमाशा" शीर्षक से एक समाचार प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था। समाचार में बताया गया था कि कांस्टीट्यूशनल हाल में आयोजित इस सेमिनार में आने के लिए विभाग की निदेशक ने राज्य के करीब 150 राजकीय डॉक्टरों को सरकारी आदेश जारी किया। आदेश संख्या व दिनांक भी समाचार पत्र में बताई गई थी। समाचार प्रकाशित होने के बाद विभाग में हड़कंप इस बात पर मचा कि सरकारी सूचना लीक कैसे हुई। गलती तो विभाग में अपनी कोई भी मानने को तैयार नहीं है, केवल घर का भेदी कौन, इसकी पड़ताल में पूरी मशीनरी खपा रखी है। आपको बता दे कि समाचार का सोर्स पूछने की ताकत किसी के पास नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग है फिर भी यह लोग पूरी कोशिश में लगे हुए हैं। उधर होम्योपैथिक चिकित्सक संघ समाचार पत्र संवाददाता व संपादक पर पूरा दबाव बना रहे हैं कि खबर का खंडन करो और खबर किसने दी इसकी जानकारी दो वरना ठीक नहीं होगा और मैम भी काफी नाराज हो रही है। इस मामले में सवाल खड़े होते हैं कि निदेशक ने संघ के कार्यक्रम में सरकारी अधिकारियों को कैसे आने के निर्देश दिए। जब सरकारी आदेश से अधिकारी आएंगे तो उनका टीए/डीए कौन देगा। विभाग का सरकारी कार्यक्रम नहीं था फिर सरकारी आदेश कैसे जारी हो गये। क्या विभाग की निदेशक सभी कार्य संघ से स्वीकृति लेकर करती है या विभाग के मंत्री व डिप्टी सीएम डॉ.प्रेमचंद बैरवा को भीड़ दिखाना जरुरी था।
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