अलवर (मनीष अरोड़ा): मिनी सचिवालय में बम की सूचना मिलने के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया। दरअसल, जिला कलेक्टर को देर रात्रि मिले एक ई-मेल में अलवर के मिनी सचिवालय में बम रखने की बात कही गई थी। जिला कलेक्टर डॉ.आर्तिका शुक्ला ने बताया कि देर रात्रि करीब तीन से चार बजे के करीब एक ईमेल मिला, जिसमें लिखा था कि अलवर के मिनी सचिवालय में बम प्लांट किया गया है, जिसके चलते सुबह होते ही किसी भी व्यक्ति को मिनी सचिवालय के भीतर प्रवेश नहीं दिया गया। जयपुर से बम स्क्वॉड को बुलवाकर पूरे मिनी सचिवालय को खंगाला गया। एक ईमेल से प्रशासन में हड़कंप मचने के चलते पूरा शहर हिल गया। ईमेल के अंदर शाम 3.30 बजे बम से उडा़ने की धमकी दी गई थी। जयपुर से आई बम स्क्वायड टीम में 8 लोग आए, जिन्होंने अलवर के मिनी सचिवालय के चप्पे-चप्पे को छाना। बम निरोधक दस्ते के साथ-साथ डॉग स्क्वायड भी मिनी सचिवालय के हर कोने को जांचता रहा। जयपुर से बम निरोधक दस्ते की टीम ने पूरे मिनी सचिवालय को खंगालने के बाद बताया कि वहां पर कोई भी अवांछनीय वस्तु नहीं पाई गई। गौरतलब है कि वर्तमान में जहां टेक्नोलॉजी ने मनुष्य को न जाने कितनी सुख-सुविधायें मुहैया करवा दी है लेकिन इसके साथ-साथ ऐसे भी दुनिया में दिमाग मौजूद है है, जो टेक्नोलॉजी का उपयोग अपराधिक गतिविधियों में भी करते हैं। फिलहाल साइबर एक्सपर्ट इस जांच में जुटे हैं कि ईमेल कहां से आया है। ईमेल का पता लगाया जा रहा है कि यह प्रॉपर किस लोकेशन से किया गया है लेकिन बड़ा सवाल यह सामने आया कि अलवर में अगर अचानक बम स्क्वॉयड की जरूरत पड़ जाए तो बम को डिफ्यूज करने के लिए अलवर में कोई व्यवस्था नहीं है। जयपुर में बम स्क्वॉड की टीम को सुबह सूचना दी थी, वह दो से तीन घंटों में अलवर पहुंची। बहरहाल, ईमेल की सूचना मिलने पर पूरे सचिवालय को पूरी तरह खंगाला गया और प्रशासन अलर्ट मोड पर रहा। आमजन सहित कर्मचारी और अधिकारियों को भी सुबह से ही मिनी सचिवालय के बाहर रोका गया। मिनी सचिवालय में बम की सूचना होने के चलते पूरे दिन रोजमर्रा का प्रशासनिक कार्य भी अस्त-व्यस्त रहा, जिसके चलते आवश्यक कार्य करवाने वाले आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ा। बड़ा सवाल यह है कि इस तरह के कानून से खिलवाड़ करने वाले, संदेश भेजने वाले अपराधियों में आखिर क्यों कानून का भय समाप्त हो रहा है, यह बड़ा सवाल है।
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