महावीर जयंती पर विशेष

AYUSH ANTIMA
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हिंदू धर्म में जैसे दिवाली, महाशिवरात्रि, जन्माष्टमी आदि पर्व होते हैं, वैसे ही महावीर जयंती जैन समुदाय के लिए सबसे पवित्र पर्वों में से एक है और इस पर्व का विशेष महत्व है। इस पर्व को जैन धर्म और संस्कृति के 24वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर की जयंती के रूप में मनाया जाता है। महावीर स्वामी का जन्म 599 ईसा पूर्व में हुआ था। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक साल चैत्र मास के 13वें दिन यानी चैत्र शुक्ल की त्रयोदशी तिथि को महावीर जयंती बड़े ही आस्था के साथ मनाई जाती है। महावीर जयंती 10 अप्रैल 2025 को है। इस दिन प्रभात फेरी, शोभा यात्रा आदि का आयोजन किया जाता है। स्वर्ण और रजत कलशों से महावीर स्वामी का अभिषेक किया जाता है तथा शिखरों पर ध्वजा चढ़ाई जाती है। महावीर जी के बारे में बताया जाता है कि बिहार के वैशाली जिले के एक गांव कुंडलपुर में महावीर का जन्म एक राजसी परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का नाम रानी त्रिशला था। महावीर स्वामी ने सन्यासी बनने के लिए कम उम्र में ही संसार त्याग दिया था। भव्य जीवन को त्याग कर सन्यास लिया और जैन धर्म के प्रचार-प्रसार में जुट गए। जैन शब्द ‘जिन’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ है ‘जीतने वाला’। जैन ग्रंथों के अनुसार, यह धर्म अनंत काल से माना जाता रहा है और यह सबसे पुराना और प्रचलित धर्मों में एक है। जैन धर्म की मान्यताओं के अनुसार महावीर भगवान ने लगातार 12 साल कठोर तपस्या की थी। उन्होंने मौन तप और जप किया, स्वयं के केश लुंचित (तोड़े) किए, अपनी इंद्रियों पर काबू पाया और फिर ज्ञान प्राप्त किया था। भगवान महावीर के उपदेश आज भी व्यक्ति को आत्मानुशासन, संयम और नैतिकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। महावीर स्वामी के 5 सिद्धांत है, जो आज़ भी माने जाते हैं। महावीर स्वामी ने समाज के लोगों के कल्याण के लिए संदेश दिए थे। इसमें उन्होंने 5 सिद्धांत बताए: सत्य, अहिंसा, अस्त्य, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य का पालन करना, जैन धर्म इसी का पालन करता है। महावीर के अनुयायियों के लिए मुक्ति का मार्ग त्याग और बलिदान ही है लेकिन इसमें जीवात्माओं की बलि शामिल नहीं है।

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