वक्फ एक्ट संशोधन बिल लोकसभा व राज्यसभा में पारित हो जाने के बाद राष्ट्रपति ने भी अपनी मोहर लगा दी तत्पश्चात इस बिल ने कानून का स्वरूप ले लिया। कानून की शक्ल लेने के बावजूद कुछ मुस्लिम संगठनों व सांसदों ने रिट याचिका दायर कर इसको रद्द करने की बात कही है। इन याचिकाओं की आगामी 16 अप्रेल को सुनवाई होनी है लेकिन इससे पहले की सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेबी पारदीवाला व आर महादेवन की पीठ ने तमिलनाडु सरकार बनाम राज्यपाल के विवाद में फैसला दिया है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता द्वारा चुनी हुई सरकार ही सर्वोपरि होती है। कोर्ट ने कहा कि विधानसभा द्वारा भेजे गये विधायकों पर वीटों करने का अधिकार राज्यपाल को नहीं है। वे किसी भी बिल को अनिश्चितकालीन समय तक नहीं रोक सकते। तमिलनाडु सरकार व राज्यपाल के बीच काफी समय से विवाद चल रहा है। राज्यपाल विधानसभा सभा द्वारा पारित विधायकों को मंजूरी देने में देरी कर रहे हैं लेकिन कोर्ट ने कहा कि किसी को भी यह अधिकार नही कि विधानसभा द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव को रोक लाया जाए। यह मूल सिद्धांत हमारे लोकतंत्र को बचाए रखने कै लिए जरूरी है। इसके साथ ही दोनों जजों ने तमिलनाडु प्रस्तावों को राज्यपाल द्वारा रोके जाने की निंदा की। उपरोक्त सुप्रीम निर्णय से उन याचिकाओं का क्या हश्र होगा, जो वक्फ एक्ट संसोधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर रखी है। यह भी एक संवैधानिक अधिकार प्राप्त सरकार जिसको तीसरी बार भारत की जनता ने आशीर्वाद दिया है, उसके द्वारा पारित विधेयक है। काश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने को लेकर भी संसद के दोनों सदनों में मंजूरी मिली थी तब भी अनेक संगठन इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गये थे तब भी सुप्रीम कोर्ट ने लोकतंत्र में जनता द्वारा चुनी हुई सरकार को ही सर्वोपरि माना था। वक्फ संशोधन एक्ट भारत की जनता द्वारा तीसरी बार निर्वाचित मोदी सरकार द्वारा लाया गया है। दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि यह जनता की भावनाओं के अनुरूप ही हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को सर्वोपरि माना तो वहीं रुख मोदी सरकार के लिए भी होगा। अब यह चर्चा का विषय नहीं रहा कि वक्फ बोर्डों मे क्या बुराईयां थी क्योंकि संशोधन आने के बाद यह मुद्दा स्वत: ही खत्म हो गया। यदि कोई सांसद बिल की कापी को फाड़कर हवा मे लहरा दे, इसका यह मतलब नही कि वह कानून नही बनेगा। विपक्षी दल अपने वोट बैंक के चलते हाय तौबा कर रहे हैं लेकिन मोदी सरकार ने इस कानून को बनाकर साबित कर दिया कि मोदी है तो मुमकिन है। इसके साथ ही तमिलनाडु सरकार बनाम राज्यपाल विवाद पर सुप्रीम फैसला देकर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी कि जनता की अदालत से बड़ा कोई नहीं है, यही हमारे महान लोकतंत्र का सौन्दर्य भी है ।
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