गर्मी में उबाल आने के साथ ही पेयजल संकट को लेकर नागरिको के धरने प्रदर्शन व ज्ञापन देने की खबरें सुर्खियां बटोर रही है लेकिन पिलानी विधानसभा के आवाम को शायद ही इस समस्या से निजात मिले। रोड पर धरना प्रदर्शन कर रहे है लेकिन समस्या का समाधान शायद ही हो पाएगा। डीएफएमटी फंड से कुंए खुदवाने की लिस्ट सोशल मीडिया पर डालकर पिलानी विधायक व भाजपा प्रत्याशी ने बहुत वाहवाही लूटी थी लेकिन धरातल पर उसको लेकर शायद ही कुछ प्रगति देखने को मिली हो। अभी हाल ही में मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के पिलानी दौरे को लेकर पिलानी विधानसभा के लोग आशान्वित थे कि मुख्यमंत्री शायद इस समस्या का त्वरित समाधान को लेकर पिलानी विधानसभा को कुंभाराम लिफ्ट परियोजना से जोड़ने का तोहफा देकर जायेंगे, जो मात्र पिलानी से 15 किलोमीटर की दूरी पर है लेकिन मुख्यमंत्री ने तो वही बात कर दी कि किसी ने पिस्टल के लाइसेंस के लिए कहा तो उसको बोला गया कि तोप का लाइसेंस दिला देंगे, यानी कुंभाराम लिफ्ट परियोजना के पानी के बजाय यमुना जल पाईप योजना का झुनझुना लोगो के हाथों में थमा गये। लोकसभा व विधानसभा चुनावों में यह मुद्दा परवान पर था और पक्ष और विपक्ष दोनो में भागीरथ बनने की होड़ लगी हुई थी लेकिन वादे तो वादे ही होते हैं और वादों के बल पर चुनाव जीतने पर उनको रद्दी की टोकरी में डाल दिया जाता है। पीने के पानी की समस्या को लेकर दोनों राष्ट्रीय पार्टी के नेताओं ने एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाकर पिलानी विधानसभा की पेयजल संकट का समाधान करने का भरोसा दिलाया था, लेकिन आज तक पेयजल संकट का स्थाई तो दूर वैकल्पिक समाधान तक नहीं किया गया। जलदाय विभाग के मंत्री ने अप्रैल माह में ही नए बोरिंग करने और पुरानी बोरिंगों को गहरा करने व बंद पड़े बोरिंगों को चालू करने का पिलानी विधानसभा के आवाम को आश्वासन दिया था, लेकिन मिला क्या बाबाजी का ठुल्लू। अब रोजाना धरना प्रदर्शन व ज्ञापन देने वालों ने मंत्री के दावों की पोल खोल दी है। हालांकि जिला कलेक्टर रामवतार मीणा अपने अधीनस्थ अधिकारियों के साथ जमीनी स्तर पर आम जनता से पेयजल संकट का फीडबैक लेकर जलदाय विभाग के अधिकारियों को लगातार निर्देश दे रहे है लेकिन जलदाय विभाग के अधिकारी निर्देशों को गम्भीरता से ही नहीं ले रहे है। यही वजह है कि पेयजल संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। असल में नई बोरिंग करना, बोरिंग को गहरा करना और बोरिंग की मोटर सही करना अब जलदाय विभाग के लिए कमाई का जरिया बन गया है। अब सवाल यह उठता है कि आगामी गर्मी के मौसम में यह संकट और गहरा होगा, इसके लिए जिम्मेदार आखिर कौन है। पीने के पानी के संकट का सामना कर रही जनता आखिर किससे फरियाद करें क्योंकि राजस्थान के मुखिया ने तो यमुना जल को लेकर टास्क फोर्स का गठन कर पल्ला झाड़ लिया। पिलानी में हरियाणा व राजस्थान के टास्क फोर्स के अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता खुद मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने की थी। इस बैठक की जानकारी देते हुए काबिना मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने बताया कि हरियाणा से भूमिगत पाइप लाईन के जरिये शेखावाटी को पानी मिलेगा। अब उनके बयान और मुख्यमंत्री की पिलानी की आमसभा में की गई घोषणा में विरोधाभास नजर आता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि मै आलू से सोना तो नहीं बना सकता लेकिन शेखावाटी में यमुना नहर लाकर खेतो में सोना उपजेगा लेकिन यह तो यमुना नहर न होकर यमुना जल पाईप योजना है, जिससे खेतो में सोना उपजेगा, इसमें संदेह नजर आता है। आयुष अंतिमा (हिन्दी समाचार पत्र) ने इस मुद्दे को लेकर बार बार यही कहा है कि यदि भजन लाल शर्मा सरकार वास्तव में पिलानी विधानसभा में उपजे पेयजल संकट को लेकर गंभीर है तो मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर कुंभाराम लिफ्ट परियोजना से पिलानी विधानसभा को जोड़कर ऐतिहासिक निर्णय ले।
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