धार्मिक उपदेश: धर्म कर्म

AYUSH ANTIMA
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एक राम के नाम बिन, जीव की जलन न जाय। दादू केते पच मुये, कर कर बहुत उपाय। संतशिरोमणि ब्रह्मऋषि श्रीदादू दयाल जी महाराज इस साखीवचन से शिष्य की राम नाम में दृढ़निष्ठा करवा रहे हैं।
जब कि शास्त्रों में यज्ञ, व्रत आदि साधनों की उपेक्षा नाम साधना सर्वश्रेष्ठ प्रमाणित की गई है क्योंकि राम नाम के बिना संसार में कुछ वस्तु है ही नहीं। केवल राम नाम स्मरण से ही कोटि-कोटि पतित पुरुष पावन हो गए है। अतः सभी को भगवान के नाम का अविरल चिंतन करना चाहिए क्योंकि नाम के बिना कोई भगवत धाम में प्रवेश का अधिकारी ही नहीं बनता तो फिर मुक्ति कैसी। हरिनाम महिमाष्टक में लिखा है हरि नाम लेने से डूबते हुए गजेंद्र का उद्धार हो गया, द्रौपदीप का वस्त्र अनंत हो गया, नरसी मेहता के समग्र कार्य, बिना उद्योग के ही, संपन्न हो गए। श्वेताश्वरतर उपनिषद् में जिस हरि के नाम कीर्तन से बड़े-बड़े पाप नष्ट हो जाते तथा चाण्डाल आदि भी जिसके कीर्तन से शुद्ध हो जाते है। उस कल्याणकारी भगवतनाम जप को छोड़कर कौन अविवेकी दूसरे साधना में लगेगा। अतः दुर्लभ मनुष्य शरीर प्राप्त करके यदि राम नाम के महत्व को नहीं जाना तो यह मन अतिमुर्ख ही है। समय रहते ही रामनाम साधना में जुड़ जाना चाहिए अन्यथा पश्चाताप ही करना पड़ेगा ।

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