निवाई (लालचंद सैनी): पीपलू तहसील के रानोली उप तहसील में राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से न्यायालय के स्थगन आदेश (स्टे) की खुलेआम अवहेलना किए जाने का गंभीर मामला सामने आया है। रानोली उपतहसील के नायब तहसीलदार, पंजीयन बाबू और हल्का पटवारी पर कोर्ट आदेश के बावजूद खातेदारी भूमि की अवैध रजिस्ट्री कराने का आरोप लगाया गया है। पीड़िता पिंकी पत्नी दिलीप सिंह निवासी झिराना थाना ने रिपोर्ट दर्ज कराते हुए बताया कि उनके पति के नाम दर्ज भूमि पर कोर्ट द्वारा स्थगन आदेश जारी था। इसके बावजूद तहसीलदार रानोली द्वारा तेजपाल गुर्जर के माध्यम से मधु पत्नी तेजपाल गुर्जर के नाम रजिस्ट्री कर दी गई और उसी दिन नामांतरण भी खोल दिया गया। पीड़िता पिंकी जयपुर में मजदूरी कर बच्चों का पालन-पोषण कर रही हैं, अब जिला कलेक्टर, उपखंड अधिकारी पीपलू और न्यायालय के चक्कर काटने को मजबूर हैं। पीड़िता का आरोप है कि जिला प्रशासन दोषी अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।
गवाहों के रूप में तेजपाल गुर्जर और हरपाल गुर्जर के नाम सामने आए हैं। विवादित भूमि सीतारामपुरा में स्थित है, जिसका कुल क्षेत्रफल 1.2645 हेक्टेयर है और खसरा नंबर 713, 707, 708/2, 709, 714, 736, 737, 738 और 741 में दर्ज है। पिंकी ने पुलिस से गुहार लगाई है कि उसके पति दिलीप सिंह के नाम चल रहे वाद "परीक्षित बनाम दिलीप सिंह" के तहत पहले से ही कोर्ट में मामला लंबित था। इसके बावजूद रजिस्ट्री कर दी गई। पीड़िता ने विक्रय पत्र रद्द कर न्याय दिलाने की मांग की है। पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
*इनका कहना है*
कोर्ट स्टे की जानकारी नहीं थी, गलती से रजिस्ट्री हो गई। रजिस्ट्री रद्द करवाई जाएगी।
*राजेश चौधरी*
*नायब तहसीलदार, रानोली*
जमाबंदी में स्टे आदेश का नोट नहीं था इसलिए रजिस्ट्री कर दी गई।
*रामविलास मीणा*
*रजिस्ट्रार, रानोली*
*यह उठ रहा है सवाल*
पीड़िता ने 22 अगस्त 2024 को तहसीलदार, पंजीयन कार्यालय रानोली और हल्का पटवारी सीतारामपुरा को न्यायालय के स्थगन आदेश की प्रति उपलब्ध करवा दी थी, जिसकी रिसीविंग कॉपी पीड़िता के पास मौजूद है। इसके बावजूद रजिस्ट्री करना प्रशासन की मिलीभगत का गंभीर उदाहरण है। अब पीड़िता को जिला सत्र न्यायालय टोंक के चक्कर लगाने पड़ेंगे और आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ेगा।
*आखिर सवाल यह है*
जब स्टे आदेश अधिकारियों को पहले से उपलब्ध था, तो इस चूक के लिए जिम्मेदार कौन है?