कांग्रेस के छप्पन वर्षीय युवराज और संसद में विपक्ष के नेता राहुल गांधी बड़े असमंजस में फंस गए हैं। दलित वोटों को साधे या मुस्लिमों को, ये सवाल जी का जंजाल है। देश में सवाल उठ गया है कि राहुल गांधी का अंबेडकर जयंती पर राजस्थान में अलवर दौरा क्यूं रद्द हुआ ?कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी के अलवर दौरे की घोषणा तेरह अप्रैल को दोपहर हुई। जिसमें बताया गया कि चौदह अप्रैल को अंबेडकर जयंती के अवसर पर राहुल राजस्थान के अलवर में बाबा साहेब की मूर्ति पर माल्यार्पण कर अयोध्या की तर्ज़ पर अलवर में बने भव्य राम मंदिर में पूजा अर्चना करने जाएंगे। ध्यान रहे कि यह वही मंदिर है, जो आजकल पूरे देश में इसलिये चर्चित है कि यहां इसके लोकर्पण समारोह में कांग्रेस के नेताओं की मौजूदगी से चिढ़े यहां बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने अगले दिन गंगाजल छिड़क दिया था। इन अस्सी वर्षीय बुजुर्ग नेताजी ज्ञान देव आहूजा का कहना है कि उन्होंने कांग्रेस के नेताओं के आने से मंदिर अपवित्र होने की बात कही थी न कि दलित समाज के नेता के आने से मंदिर अपवित्र होने की। आहूजा बताते हैं कि उनका रसोइया दलित है, फिर छुआछूत कैसी ?इधर कांग्रेस ने इस मुद्दे को दलितों के अपमान से जोड़ दिया। जगह जगह देश में बीजेपी नेता का जमकर विरोध हुआ, पुतले जलाए गए। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने मंदिर का लोकार्पण किया था। जूली भी इसमें शामिल हुए। वैसे जूली दलित समाज से तो आते हैं पर उनके प्रति सवर्ण वोटों का ऐसा लाड है कि वे अपनी एससी रिजर्व सीट अलवर ग्रामीण से सवर्ण समाज के भारी वोटों से ही जीतते आए हैं। कांग्रेस के अहमदाबाद के राष्ट्रीय अधिवेशन में भी जूली ने अपने अपमान के इस मुद्दे पर खूब दहाड़ लगाई।इसके चलते उन्होंने देश में बड़े दलित नेता के रूप में अपनी पहचान भी बनाईं। जूली के मुद्दे पर अधिवेशन में राहुल गांधी भी बरसे, खड़गे भी खूब खदके।दलितों के सम्मान को लेकर गर्म हुए राजनेतिक तवे पर रोटियां सेंकने की कांग्रेस ने अच्छी तैयारी कर ली थी पर उसका दुर्भाग्य यह रहा कि मुस्लिम वोट बैंक ने इस मुद्दे में ऐसी सुई लगाई की फूला हुआ गुब्बारा फुस्स होकर जमीन पर आ गिरा।सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस के मसखरे नुमा मौजूदा रणनीतिकार इस मुद्दे पर राहुल गांधी का अलवर दौरा रद्द कराने में सफल हो गए। मित्रों इसमें कोई संदेह नहीं कि राजस्थान ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में राजस्थान के दलित नेता टीकाराम जूली रातों रात चमक उठे थे। कांग्रेस के तमाम मुद्दे जूली के इस मुद्दे के आगे बौने हो गए थे। नौजवान नेता जूली कांग्रेस सुप्रीमों श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी की नज़रों में चढ़ गए थे। इसी बीच कांग्रेस के कारसेवकों ने जूली के मुद्दे की ही ऐसी कार सेवा कर डाली कि उल्टे बांस बरेली को हो गए।बताते हैं कि राहुल गांधी को चतुर सुजान यह समझाने में सफल हो गए कि इससे मुस्लिम वोट बैंक नाराज हो जाएगा।दोस्तों राहुल गांधी मेरी तरह बहुत भोले हैं, उनको समझाया गया कि जूली के मंदिर में जाने के बाद उसे गंगाजल से शुद्ध करने का मुद्दा चंद दलितों को खुश कर सकता है पर मंदिर में पुनः जाकर पूजा अर्चना करना गले की फांस भी बन सकता है। अलवर मेवात में है और वहां मुस्लिमों का वोट बैंक इससे खिसक सकता है। राय बहादुर लोगों ने अचूक बाण चलाया कि जब राहुल ने जन जन की आस्था के केन्द्र बन चुके अयोध्या के राम मंदिर में ही अब तक कदम नहीं रखा तो अलवर जैसी छोटी जगह पर राम मंदिर में जाने का क्या तुक है ? पूजा करने जाना है तो फिर अयोध्या क्यों नहीं ?
इन रणनीतिकारों ने यह भी समझाया बताया कि अहमदाबाद में जिस दिन जूली इस मुद्दे पर दहाड़ रहे थे तो उनके समर्थक जोश खरोश के साथ अलवर में डॉक्टर अंबेडकर की मूर्ति वाले चौराहे पर प्रदर्शन करने के बाद उसी मंदिर में जा पहुंचे, जिसे बीजेपी नेता ने गंगाजल से शुद्ध किया था। राहुल को बताया गया कि वहां कांग्रेसियों ने रामजी के खूब भजन गाए पर खास बात यह रही कि प्रदर्शन में शामिल होने आए मुस्लिम नेता और कार्यकर्ता इससे नाराज हुए। वे राम मंदिर में फटके तक नहीं, वे अंबेडकर सर्किल से ही वापस लौट गए। इस मुद्दे पर कांग्रेस बंट गई। अब राहुल मंदिर जाएंगे तो मुस्लिम भी उसका बहिष्कार करेगें, फिर भीड़ कहां से लाएंगे ? राहुल को बताया गया है कि कांग्रेसियों के यूं प्रदर्शन के बाद राम मंदिर जाने और वहां नाचने गाने से मुस्लिम नेता और उनके समर्थक चिढ़ जाएंगे। इससे संघ और बीजेपी के कट्टर दलित नेता भी नाराज होंगे।
बताते हैं कि राहुल गांधी को चतुर सुजानों का यह शरारत भरा रहस्योदघाटन बहुत जल्दी समझ में आ गया और उन्होंने अपना अलवर दौरा तुरंत रद्द कर दिया। अहमदाबाद अधिवेशन की थकान उतारने राहुल गांधी सीधे राजस्थान में रणथंभोर के पांच सितारा होटल पहुंचे थे।जयपुर एयरपोर्ट पर भी उन्होंने कांग्रेस नेता जूली के प्रति प्रतिबद्धता जताई थी। उनके साथ चर्चा में भरोसा दिलाया था कि पूरी कांग्रेस दलित के अपमान के मुद्दे पर जूली के साथ खड़ी रहेगी। रणथंभोर से टाइगर सफारी के बाद सीधे उनका अलवर पहुंचने का भी कार्यक्रम बना पर जैसे ही सोशियल मीडिया पर राहुल गांधी के अलवर दौरे की ख़बर छाई कुछ कट्टर कम्युनिस्ट दलित नेताओं को उबकाई आई। उन्होंने अपने कमेंटों में भारी एतराज किया। मुस्लिमों के नेताओं को भी राहुल के इस दौरे का डिजाइन पसंद नहीं आया, उन्होंने भी कांग्रेस की रगड़ाई की। ऐसा लगता है कि सनातन और राम मंदिर के विरोधियों ने एक साथ इस दौरे पर हमला बोला तो राहुल गांधी डर गए। राहुल गांधी ने एक घंटे के भीतर ही अपने क़दम वापस ले लिए और आनन फानन में यह महत्वपूर्ण दौरा रद्द कर दिया।राहुल गांधी के अलवर दौरे की ख़बर से उत्साहित हुए जूली और उनके समर्थकों को भारी धक्का लगा, वे कहें न कहें पर निराशा भी हुईं। आखिर उनको यहां मीडिया में यह कहकर पीछा छुड़ाना पड़ा कि राहुल गांधी संसद में लगी अंबेडकर जी की मूर्ती पर ही पुष्प अर्पित करेगें।
राम राम करने से पहले मित्रों आज इतना ही कि मौजूदा रणनीतिकारों और छिछोरे नेताओं के कारण कांग्रेस का और रसातल में जाना थम नहीं रहा है। पूरे देश से उखड़ चुकी कांग्रेस को समूल नष्ट करने की सुपारी किसने ली है, यह खोज का बड़ा विषय है। तुष्टीकरण की राजनीति तो कांग्रेस को इस मोड पर ले आई है कि उससे जनता द्वारा देश और तमाम राज्यों की सत्ता छीन ली गई है। सरकार बनने के सपने सिर्फ सपने ही रह गए हैं। अब उसके सामने एक नया संकट मुस्लिम और दलितों को लेकर खड़ा हो गया है। मेवात में दलित मुस्लिम का छत्तीस का आंकड़ा किसी से छिपा नहीं है।देश में भी मुस्लिम दलित एकता का नारा इसलिए नहीं टिकता है कि मुस्लिम अनेक जेहादों में फंसे होने की वजह से दलितों के गले नहीं उतरते हैं। ज्यादातर दलित सनातन प्रेमी हैं। मुस्लिमों की कट्टरता सनातन की बैरी है। मुस्लिम और कांग्रेस देशभर में एक दूसरे की पूरक बन गई है। कांग्रेस को समुंद्र मानने वाले लोग भी अब उसकी हरकतों से आजिज आकर उसे एक जोहड़ के समान मानने लगे हैं और सवाल दाग रहें हैं कि....
*बोल मेरी मछली..*
*अब कितना पानी ?*