राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा का शेखावाटी दौरा सुर्खियों में रहा कि इस गर्मी के मौसम की परवाह न करते हुए लोगो की समस्याओं के लेकर कितने संवेदनशील है। इस दौरे को शेखावाटी में पीने के पानी की भयंकर समस्या को लेकर समाधान के रूप में देखा जा रहा था। खासकर पिलानी विधानसभा की बात करें तो आवाम इस बात को लेकर उत्साहित था कि आगामी गर्मी का मौसम और पीने के पानी की भयंकर समस्या से जूझ रही जनता को कुंभाराम लिफ्ट परियोजना का तौहफा देगे लेकिन मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने कुंभाराम लिफ्ट परियोजना का जिक्र तक नहीं किया और कांग्रेस की परम्परा का निर्वहन करते हुए लोगो के हाथों मे यमुना जल का झुनझुना थमा गये। विदित हो यमुना जल को लेकर जिले के एक दिग्गज कांग्रेसी नेता ने अपने राजनीतिक जीवन के अंतिम क्षणों तक खूब राजनीती की। उस नेता ने भी डीपीआर बनने तक का सफर लोगों के साथ पूरा किया, डीपीआर बनी भी लेकिन पानी कागजों में ही सिमट कर रह गया। अब भी भाजपा के स्थानीय नेताओ ने इस बात का खूब प्रचार किया था कि यमुना जल समझौते को लेकर डीपीआर बन चुकी है। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की पिलानी आमसभा के बाद हरियाणा व राजस्थान के अधिकारियों की बैठक सैंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीरी) में रखी गई थी, जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने की। बैठक में सरकार के मंत्री सुरेश रावत, अविनाश गहलोत व झाबर सिंह खर्रा भी थे। बैठक में हुई चर्चा और फैसले की जानकारी देते हुए काबीना मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने बताया कि एक महीने बाद टास्क फोर्स की फिर बैठक होगी तत्पश्चात डीपीआर बनने का रास्ता साफ होगा। एक पाइप लाईन हरियाणा बार्डर तक व दूसरी राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र तक आयेगी। पाईप लाईन भूमिगत होगी, जिसमें भूमि अधिग्रहण नहीं होगा। जिस किसान के खेत से पाईप लाईन गुजरेगी, यदि उससे किसान की फसल का नुकसान होगा तो मुवावजे की राशि किसान को मिलेगी, जो हरियाणा व राजस्थान सरकारे वहन करेगी। अब यदि खर्रा के इस बयान का पोस्टमार्टम करें तो मुख्यमंत्री ने पिलानी आमसभा में अपने भाषण में कहा था कि मेरे पास आलू से सोना बनाने की मशीन तो नहीं है लेकिन जब शेखावाटी के खेतो में यमुना के पानी से सिंचाई होगी तो यहां की धरती सोना उगलेगी। जब पानी भूमिगत पाईप लाईन के जरिए आयेगा तो सिंचाई के लिए पानी कैसे उपलब्ध होगा, यह ज्वलंत प्रश्न है व समझौते में यह भी उल्लेख है कि हरियाणा पहले अपने हिस्से का पानी लेगा और सरप्लस पानी होगा तभी राजस्थान को देगा, वह भी साल के तीन महीनों के लिए। अब सरप्लस पानी की उपलब्धता तो इंद्र भगवान पर निर्भर करती है।
मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को पिलानी विधानसभा का आवाम आधुनिक युग के भागीरथ के रूप में देख रहा था कि इस समस्या का समाधान अब जल्द ही होगा क्योंकि कुंभाराम लिफ्ट परियोजना का पानी पिलानी से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर ही है। आयुष अंतिमा (हिन्दी समाचार पत्र) ने पत्रकारिता के मूल्यों का सजीव निर्वहन करते हुए पिलानी विधानसभा खासकर पिलानी के लोगों की आवाज बनकर अपने लेखों द्वारा जनता व सरकार की अदालत में इस मानवीय मुद्दे को बार बार रखा है कि इसका स्थायी त्वरित समाधान केवल यही है कि पिलानी विधानसभा को कुंभाराम लिफ्ट परियोजना से जोड़ दिया जाए। सूत्रों की मानें तो इस प्रोजेक्ट को लेकर तत्कालीन कांग्रेस सरकार के राज में डीपीआर भी बन चुकी थी लेकिन डबल इंजन सरकार का गठन होते ही उस डीपीआर को रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के शेखावाटी दौरे को लेकर यही कहा जा सकता है कि खोदा पहाड़ निकली चुहिया।