ढोलों की थाप पर थिरके युवा और बुजुर्ग

AYUSH ANTIMA
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अलवर (मनीष अरोडा़): पंजाबी समाज का खुशियों का पर्व बैसाखी जिले में बड़े धूमधाम से मनाया गया। बैसाखी पर्व को मनाने के पीछे जहां एक और धार्मिक इतिहास तो है ही, वही कुछ पारंपरिक मान्यताएं भी प्राचीन काल से चली आ रही है, जिसके चलते खुशियों का यह त्यौहार बैसाखी पूरे हर्षोल्लास के साथ प्रतिवर्ष मनाया जाता है। बात सन् 1699 की है, जब देश पर मुगलों का अत्याचार जोरों पर था तब सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की स्थापना बैसाखी के दिन ही की थी। इतिहास में दर्ज है श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने पहले पांच प्यारों को अमृत पान कराया और उन्हें सिंह बनाया, उसके बाद स्वयं उनसे अमृत पान किया। 
वैसाखी को सिख धर्म की स्थापना के रूप में भी मनाया जाता है। शहर के गुरुद्वारों में गुरबाणी कीर्तन हुआ और गुरु का अटूट लंगर वरताया गया।  पुरातन काल में खेती रोजगार का साधन हुआ करता था, जिसके चलते अच्छी फसल होने पर ईश्वर के चरणों में कटी हुई फसल को रखकर भगवान का धन्यवाद दिया जाता था, इसलिए भी बैसाखी पर्व मनाया जाता है। उत्तर भारत में इस त्यौहार की बड़ी धूम रहती है और पंजाबियों का तो यह खुशियों का त्यौहार है। बैसाखी के दिन सुबह भगवान को मिष्ठान का भोग लगाया जाता है, जिसमें जलेबी के भोग का बड़ा महत्व है। अलवर में भी पंजाबी समाज के द्वारा बैसाखी का त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया गया। बैसाखी का त्यौहार मनाने की शुरुआत सुबह से ही हो गई, जिसमें सबसे पहले वन राज्य मंत्री ने भगत सिंह चौराहे पर शहीद भगत सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और समाज को बधाइयां प्रेषित की। पंजाबी वेलफेयर सोसाइटी के द्वारा मीठे जल की प्याऊ लगाई गई। समिति के अध्यक्ष दीवानचंद सेतिया ने बताया कि बैसाखी पर्व सामाजिक स्नेह मिलन का त्यौहार है। इसके बाद जिला पुरुषार्थी समिति की ओर से शहर के सामान्य चिकित्सालय में वाटर कूलर का उद्घाटन मंत्री संजय शर्मा के द्वारा किया गया। वही अतुल्य पंजाबी महासभा के द्वारा बैसाखी के पर्व को मनाने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन शहर के स्वरूप विलास होटल पैलेस में किया गया, जिसमें शहर के गणमान्य लोगों ने शिरकत की। ढोलों की थाप और डीजे की धुन पर युवक नाचते गाते दिखाई दिए, वहीं बाहर से आए पंजाबी गायको ने भी कार्यक्रम में समां बांध दिया। 
इस रंगारंग समारोह में आयुष अंतिमा (हिन्दी समाचार पत्र) के अलवर ब्यूरो चीफ मनीष अरोड़ा को उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए पंजाबी समाज के द्वारा पगड़ी और स्मृति स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के आयोजक राजू धवन और सौरभ कालरा ने बताया कि बैसाखी कार्यक्रम में केवल अलवर से ही नहीं राजस्थान भर से पंजाबी समाज के लोगों ने शिरकत की। उल्लेखनीय है कि इस दिन बैसाखी मनाने वाले पंजाबी और सिख धर्म के लोग  सुबह स्नान के बाद मंदिर और गुरुद्वारे के दर्शन करते हैं, उसके बाद ही अपने कार्यों पर निकलते हैं। उल्लेखनीय है कि बैसाखी का त्यौहार वर्तमान में आपसी स्नेह मिलन का भी एक बड़ा माध्यम बन गया है। इस प्रकार बैसाखी के त्यौहार का ना केवल धार्मिक महत्व है बल्कि जीवन में नई खुशियां और हर्षोल्लास की भगवान से मनोकामना मांगने के लिए भी बैसाखी पर्व को प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
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