राजस्थान मे रीट परीक्षा हुई, इसको लेकर सरकार व नेताओं ने इसको बिना नकल व शांतिपूर्ण सम्पन्न करवाने को लेकर अपनी पीठ थपथपाई लेकिन इस परीक्षा में जो सनातनी परम्पराओं का घोर अपमान हुआ है, वह अपने पीछे ज्वलंत प्रश्न छोड गया, जो हमारे सिस्टम को कलंकित करने वाला ही नहीं बल्कि सनातन धर्म की वाहक भाजपा सरकार के लिए भी गहन चिंतन व मनन करने का विषय है। किसी भी सनातनी महिला के लिए चूडीयां, कान की बाली, नाक की लौंग सुहाग की निशानी होती है। इन सुहाग की निशानियों को परीक्षा केन्द्र से पहले उतरवाने के समाचार विभिन्न समाचार पत्रों में देखने को मिल रहे हैं। आखिर नकल पर लगाम लगाने का यह प्रशासन का कौन सा तरीका है कि उनको उतारने के बाद ही परीक्षा केन्द्र में जाने की इजाजत दी गई। इसी क्रम में एक सनातन धर्म को मानने वाले के लिए जनेऊ सनातन धर्म की परम्पराओं मे आता है। श्रीरामचरित मानस में भी जनेऊ यानी ब्रह्मफास का उल्लेख आता है। जब हनुमान जी सीता माता की खोज के लिए लंका में गये तो उन्होंने अशोक वाटिका में फल खाने को लेकर पेड़ों को तहस नहस कर दिया था। रावण ने अपने पुत्र मेघनाथ को भेजा तो मेघनाथ ने हनुमान जी को ब्रह्मफास में बांध लिया। हनुमान जी का ब्रह्मफास में बंधना उसका आदर करना था, उन्होंने इस सनातनी मान्यता का उल्लघंन नहीं किया लेकिन सनातन धर्म की प्रबल समर्थक इस भाजपा सरकार के कार्यकाल में ब्रह्मफास का घोर अनादर किया गया और सनातन की इस धरोहर को उतारने के बाद ही परीक्षा भवन में जाने दिया गया। यदि उपर से सरकारी आदेश थे तो यह आदेश किसने दिए और यदि ऐसे आदेश नहीं थे तो उन अधिकारियों पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए, जिन्होंने सनातनी परम्पराओं का घोर अपमान किया है। अब सवाल यह उठता है कि कांग्रेस राज में जो पेपर लीक हुए थे और जो व्यक्ति अभी तक पकड़े गये है, उन्होंने पेपर लीक का जनेऊ, चूड़ी, कान की बाली व नाक की बाली को माध्यम बनाया था या फिर उपरोक्त सनातन धर्म की परम्पराओं के प्रतीक चिन्ह नकल करने में सहायक थे। क्या इन ज्वलंत प्रश्नों का जबाब उन अधिकारियों के पास है, जिन्होंने यह कारनामा किया या भाजपा की सनातन धर्म की रक्षक के पास है।
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