राजस्थान का बजट आया तो जिले के भाजपा नेताओं ने ही नहीं बल्कि झुंझुनूं विधायक महोदय ने भी कहा कि झुंझुनूं के विधायक महोदय ने मुख्यमंत्री का आभार प्रकट करते हुए कहा कि झुंझुनूं के लिए बजट में सौगातों का अंबार लग गया। सड़क निर्माण व सड़कों का पेंच वर्क हर सरकार की प्राथमिकता होने के साथ ही यह सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है। मूलभूत आवश्यकताओं में पानी, बिजली, शिक्षा व स्वास्थ्य के बारे में सोचना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। झुंझुनू मुख्यालय पर एक भी सरकारी इंजिनियरिंग महाविद्यालय न होना जिले के युवाओं के साथ अन्याय है। खेल विश्वविद्यालय को लेकर कांग्रेस सरकार ने जो वाहवाही लूटी थी, वह कागजों से बाहर तो नहीं निकली बल्कि झुंझुनूं से निकल कर जोधपुर जरुर चली गई। झुंझुनूं को वीर प्रसूता भूमि व सबसे देश की सीमाओं की रक्षा पर अपने लाल भेजने के लिए विख्यात रही है लेकिन दुर्भाग्य कि मुख्यालय पर सैनिक अस्पताल नहीं है व बालिकाओं के लिए सैनिक विधालय नहीं है। बरसात के दिनों में झुंझुनूं के मुख्य मार्ग गंदे पानी की झील में तब्दील हो जाते हैं, इसको लेकर एक बहुत ही सुचारू ड्रेनेज सिस्टम की जरूरत है। अब यदि पिलानी विधानसभा की बात करें तो जनता इस सर्दी के मौसम में भी पीने के पानी को लेकर त्रस्त है व टैंकरों से पानी मगवाने को मजबूर हैं, जो एक मध्यम वर्गीय परिवार के लिए आर्थिक बोझ के नीचे दबना है। इस समस्या का निदान केवल और केवल तात्कालिक उपाय के लिए कुंभाराम लिफ्ट परियोजना से पिलानी विधानसभा को जोड़ना ही है। पिलानी में एकमात्र व सबसे पुराना महाविद्यालय एमके साबू पीजी महाविद्यालय को इस सत्र से बंद करने का निर्णय पिलानी व आसपास की बालिकाओं के लिए चिंता का सबब है। यहां एक सरकारी महाविद्यालय की अति आवश्यकता है या फिर एमके साबू पीजी महाविद्यालय को सरकार अधिग्रहण करके उन बालिकाओं के भविष्य पर मंडरा रहे निराशा के बादलों को हटा सकती है। पिलानी व आसपास के गांवों के लोगों के स्वास्थ्य के बारे में संवेदनशीलता का परिचय देते हुए यहां एक सौ बैड का सरकारी अस्पताल खोला जाए । झुन्झुनू पिलानी मार्ग पर सड़क दुर्घटना बहुत होती है, इसके लिए चिड़ावा में एक ट्रामा अस्पताल खोला जाए, जिससे लोगों की जान को बचाया जा सके। इसके साथ ही शेखावाटी के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा यमुना जल को लेकर है, जिसके लिए विगत उपचुनावों में बहुत ही जोर शोर से इस मुद्दे का दोहन किया था, उसको लेकर इस बजट में एक शब्द भी नहीं कहना जनता के साथ छलावा तो नहीं। उपरोक्त जनहित के कामों को लेकर यदि पचास प्रतिशत भी इस बजट में समायोजित किए जाते तो यह कहा जा सकता था कि झुंझुनूं को इस बजट में आजाद भारत के बाद पहली बार सौगातों का पिटारा खोला गया है ।
3/related/default