जोधपुर (रंजन दईया): भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) ने ब्रिटिश काउंसिल यूके के सहयोग से ‘वीमेन इन साइंस लीडरशिप प्रोग्राम’ (WISLP) शुरू किया है। यह कार्यक्रम अंतरिक्ष एवं विज्ञान के क्षेत्र में लैंगिक समानता का वातावरण बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसे समावेशी नेतृत्व ढांचा तैयार करके महिलाओं को वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार में सार्थक योगदान देने के लिए सशक्त बनाने के लिए शुरू किया गया है। इस पहल का उद्देश्य अंतरिक्ष एवं विज्ञान में महिलाओं के नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए लैंगिक-समावेशी प्रथाओं को मजबूत करने में संस्थानों का समर्थन करना है, जिसके लिए रणनीतिक नेतृत्व ढांचा विकसित किया जाएगा। यूके का कोवेंट्री विश्वविद्यालय इस पहल में डिलीवरी पार्टनर है।कार्यक्रम का उद्देश्य वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में नेतृत्व और शासन की भूमिकाओं में महिलाओं को सशक्त बनाना है ताकि संस्थानों को उनके लिंग-समावेशी प्रथाओं और नीतियों को मजबूत करने में समर्थन दिया जा सके। डॉ.व्यास सहित देश भर से लगभग 200 महिलाओं को डीएसटी नई, दिल्ली एवं कोवेंट्री यूनिवर्सिटी के द्वारा प्रथम चरण के दौरान एक सप्ताह की ट्रेनिंग दी गई, ततपश्चात उनमें से 20 महिलाओं को चरण-2 के लिये यूनाइटेड किंगडम के कोवेंट्री विश्वविद्यालय में उच्च स्तरीय प्रशिक्षण हेतु चुना गया, जिसका उद्देश्य महिला वैज्ञानिकों को नेतृत्व क्षमता और अनुसंधान कौशल में उत्कृष्टता प्रदान करना है। डॉ.व्यास का चयन उनके द्वारा अनुसंधान और विज्ञान के क्षेत्र में योगदान के लिए किया गया है। डॉ.श्वेता व्यास 19 से 27 मार्च 2025 तक कोवेंट्री विश्वविद्यालय, यूके में उच्च स्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त करेंगी। इस दौरान उन्हें वैश्विक अनुसंधान दृष्टिकोण, नेतृत्व कौशल और अंतरराष्ट्रीय विज्ञान सहयोग पर विशेष प्रशिक्षण मिलेगा। डॉ.व्यास ने इस अवसर को अपने लिए गौरवपूर्ण बताते हुए कहा, "यह मेरे लिए एक बड़ा अवसर है कि मैं वैश्विक स्तर पर विज्ञान में महिलाओं के नेतृत्व के पथ को और बेहतर ढंग से समझ सकूंगी। विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के लिए यह डीएसटी, नई दिल्ली की यह पहल अत्यंत महत्वपूर्ण है।" डॉ.व्यास की इस उपलब्धि को कोटा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.कैलाश सोढ़ाणी
ने इसे संस्थान के लिए गर्व का विषय बताया तथा शोध निदेशक प्रो.रीना दाधीच ने कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षण से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोध एवं अनुसंधान के लिए मार्ग प्रशस्त होता हैं। कुलसचिव श्रीमती भावना शर्मा ने भी डॉ.व्यास को बधाई दी और बताया कि इस तरह के अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण से भारतीय महिला वैज्ञानिकों को वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बनाने और अपने अनुसंधान को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का अवसर मिलता है।