चुनावी प्रक्रियाओं को अधिक मजबूत करने की दिशा में विमर्श के लिए निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों को किया आमंत्रित

AYUSH ANTIMA
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जयपुर/झुंझुनूं (राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला): भारत निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रक्रिया से सम्बंधित किसी भी मुद्दे के समाधान के लिए देश के सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय राजनीतिक दलों से सुझाव आमंत्रित किए हैं। ये सुझाव 30 अप्रैल, 2025 तक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ईआरओ), जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ) या मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के स्तर पर दिए जा सकते हैं। आयोग की ओर से मंगलवार, 11 मार्च को विभिन्न राजनीतिक दलों को लिखे एक पत्र में प्रचलित कानूनों के अनुसार चुनावी प्रक्रियाओं को अधिक मजबूत करने के लिए पार्टी अध्यक्षों और वरिष्ठ सदस्यों को बातचीत और विमर्श करने के लिए आमंत्रित किया गया है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने पिछले सप्ताह आयोग द्वारा आयोजित निर्वाचन अधिकारियों के सम्मेलन के दौरान सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ), जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) और निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों (ईआरओ) को भी निर्देश दिए थे कि वे राजनीतिक दलों के साथ नियमित बैठक करें तथा ऐसी बैठकों में प्राप्त किसी भी सुझाव पर पहले से मौजूद कानूनी ढांचे के भीतर ही समुचित कार्यवाही करें। श्री कुमार ने इस विषय में राज्यों से 31 मार्च, 2025 तक आयोग के समक्ष कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। आयोग ने अब राजनीतिक दलों से भी आग्रह किया है कि वे देश भर में निचले स्तर तक मौजूद इस विकेंद्रीकृत चुनावी तंत्र का सक्रिय रूप से उपयोग करें।
गौरतलब है कि भारत के संविधान और चुनावी प्रक्रियाओं के सभी पहलुओं से जुड़े वैधानिक ढांचे के अनुसार निर्वाचन आयोग द्वारा चिह्नित 28 हितधारकों में से एक प्रमुख हितधारक राजनीतिक दल हैं। राजनीतिक दलों को लिखे पत्र में आयोग ने यह भी उल्लेख किया है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और 1951; निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण नियम, 1960; चुनाव संचालन नियम, 1961; भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समय-समय पर जारी आदेश और निर्वाचन आयोग द्वारा जारी निर्देश, मैनुअल और पुस्तिकाएं, जो आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं, ने देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए एक विकेंद्रीकृत, मजबूत और पारदर्शी कानूनी ढांचा स्थापित किया है।

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