अलवर (मनीष अरोडा़): भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित गणगौर पूजन इस बार 31 मार्च को किया जाएगा। गण का अर्थ है महादेव और गौर का अर्थ है पार्वती अर्थात शिव पार्वती की उपासना को ही गणगौर पूजन कहा जाता है। गणगौर पर भगवान शिव महादेव और मां पार्वती की मिट्टी की मूर्तियों को बनाकर उनका विधिवत पूजन किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस पूजन से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और परिवार में सुख समृद्धि और दांपत्य जीवन सुखद रहता है। अलवर जिले में भी गणगौर की तैयारियां जोरों पर चल रही है।
शास्त्रों में और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भी गणगौर के पर्व का बड़ा महत्व बताया गया है। आदि देव महादेव और मां गोरा को प्रसन्न करने वाला यह त्यौहार महिलाएं और अविवाहित युवतियां खासतौर से मनाती है। 31 मार्च को गणगौर पूजन किया जाएगा। गणगौर पूजन को लेकर प्रतिदिन पूजा तथा गणगौर माता का बिनौरा निकाला जा रहा है। गणगौर पूजा के लिए नवविवाहिताओं, लड़कियां, बहुएं तथा महिलाएं 13 मार्च से ही ईश्वर गौरा की पूजा पाठ करने में जुटी है। वही महिलाओं द्वारा गौरा गणगौर का विनोरा भी घर-घर जाकर निकाला जा रहा है और गणगौर मां की सुंदर गीत गाते हुए गली मोहल्ले में बिनोरा निकाला जा रहा है। महिलाओं ने बताया कि 31 मार्च को ईश्वर गणगौर की पूजा का समापन किया जाएगा, महिलाओं में इस गणगौर पर्व को लेकर बहुत ज्यादा उल्लास देखने को मिल रहा है। महिलाएं नए सजे धजे परिधानों में गोरा गणगौर की बिनोरा निकाल रही है। उल्लेखनीय है कि महाशिवरात्रि के बाद भोलेनाथ और मां पार्वती को समर्पित यह दूसरा बडा महापर्व होता है, जिसमें कि भगवान शिव और मां पार्वती की उपासना की जाती है और सुखी दांपत्य जीवन के लिए यह त्यौहार मनाया जाता है ।