जयपुर: परिवार, व्यवसाय के साथ समाजसेवा में समर्पित रहने वाले बीएल ग्रुप के प्रबंध निदेशक बाबूलाल सैनी (बीएल सैनी) मंगलवार को पंचतत्व में विलीन हुए। सैनी के निधन का समाचार सुनते ही उद्योग जगत में शोक की लहर छाई रही। सैनी ने व्यवसाय में नफा नुकसान की चिंता किए बिना हमेशा टेंशन मुक्त रहकर व्यवसाय करना सिखाया। उनके मूल वाक्य थे भाग्य में है वह कहीं नहीं जाता और जो भाग्य में नहीं है उसे कोई दे नहीं सकता, तो फिर क्यों इंसान धन रूपी दानव की ओर भागता है। इंसान को हमेशा सकारात्मक विचार ही मन में लाने चाहिए। इतना ही नहीं सैनी ने कृषि कार्य के साथ साथ व्यवसाय को उच्चतम शिखर पर पहुंचाने के लिए न सिर्फ मेहनत की वरन् उसे सफल बनाने के लिए ईमानदारी और भाईचारे को बढ़ावा दिया। बस इसी मेहनत और कुशल व्यवहार के दम पर वे स्वयं को हर क्षेत्र में अग्रणी मानते थे। 17 अक्टूबर 1934 में जन्मे सैनी 16 मई 1953 में नागौर जिले के मारोठ कस्बे में भंवरी देवी के साथ वैवाहिक बंधन में बंधे।
*सैनी की शिक्षा और व्यवसाय*
सैनी ने रेजीडेंसी स्कूल से मिडिल और महाराजा हायर सेकंडरी स्कूल से मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद बीकेआई में बीएल दाल मिल, मानसरोवर में राजकमल दाल मिल, चौड़ा रास्ता में राजकमल शोरूम, एमआई रोड पर राजरतन शोरूम, बीएल होटल प्रथम बरकत नगर, होटल बीएल टोंक फाटक, बीएल गेस्ट हाउस, सीतापुरा औद्योगिक क्षेत्र में बीएल दाल मिल की स्थापना की। इनके अलावा बीएल साड़ी, बीएल सूट्स और बीएम साड़ी जैसी प्रसिद्ध फर्म को उनके पुत्र और पौत्र संचालित कर रहे हैं।
सैनी अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़कर गए हैं। सैनी के परिवार में भंवरी देवी (धर्मपत्नि), मदनलाल सैनी-पुष्पा, सुरेश सैनी-ममता, कमल सैनी-यशोदा, राजकुमार सैनी-आशा (पुत्र-पुत्रवधू), नितिन-सीमा, निशित-रितु, रोहित-पूनम, राहुल-खुशबू, अंशुल नेहा (पौत्र-पौत्रवधू), अभिषेक, शिवांश, रोनक (पौत्र), शिवानी (पौत्री) नमिता प्रिया, निकिता, तुषार शिवांगी, (पौत्री) अधिराज (पढपौत्र), अदवीका, नायशा, तनिषा, विदिशा (पढपौत्री) हैं।