शिव महापुराण कथा में गणेश जन्मोत्सव की कथा का वर्णन सजीव झांकी के साथ हुआ

AYUSH ANTIMA
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झुंझुनू ): लावरेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट की ओर से मंदिर के 33वें वार्षिक उत्सव के शुभ अवसर पर शिव महापुराण कथा यज्ञ का आयोजन मंदिर परिसर के सामने श्री चौथमल जी गोयनका नोहरा में किया जा रहा है। शिव महापुराण कथा यज्ञ में चतुर्थ दिवस सोमवार को परम् श्रद्धेय ब्रह्मलीन सद्गुरुदेव श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर स्वामी आत्मारामजी महाराज के पावन आशीर्वाद से श्रीदादू द्वारा बगड़ महामंडलेश्वर डॉ.स्वामी अर्जुनदास जी महाराज के पावन सानिध्य में व्यास पीठ से विश्वविख्यात श्रद्धेय बाल व्यास श्रीकांत जी शर्मा ने अपने कोकिल कंठ से गणेश पूजन के साथ मधुर संगीतमय कीर्तन तथा सरल हिंदी भाषा में रोचक एवं ज्ञान राग दृष्टांत सहित कथा का रसपान श्रोता भक्तों को करवाया। इससे पूर्व भागवत ग्रंथ का पूजन मंदिर ट्रस्ट पदाधिकारियों एवं सदस्यों द्वारा विद्वान पंडितों के आचार्यत्व में किया गया। व्यास पीठ से बाल व्यास ने बताया भगवान गणेश जी शिव और मां पार्वती की संतान हैं। गणेश जी की पूरी आकृति में सबसे महत्वपूर्ण उनकी सूंड मानी जाती है। इसके अलावा गणेश जी के दो बड़े कान हैं और किसी आम व्यक्ति की तरह उनका बड़ा सा पेट है।
गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहते हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में 5 सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले भगवानों में एक गणेश जी भी हैं। पढ़ाई, ज्ञान, धन लाभ और अच्छी सेहत के लिए भी गणेश जी की पूजा की जाती है। शिव महापुराण के मुताबिक, गणेश जी का शरीर लाल और हरे रंग का होता है। ब्रह्मावैवर्त पुराण के मुताबिक, मां पार्वती ने संतान पाने के लिए पुण्यक व्रत रखा था। माना जाता है कि इस व्रत की महिमा से ही मां पार्वती को गणेश जी संतान के रूप में मिले थे। उन्होंने कहा कि ब्रह्मावैवर्त पुराण के मुताबिक, जब सभी भगवान गणेश जी को आशीर्वाद दे रहे थे, उस समय शनि देव सिर को झुकाए खड़े थे। देखने पर मां पार्वती ने उनसे उनका सिर झुका कर खड़े होने का कारण पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि अगर वे गणेश जी को देखेंगे तो हो सकता है कि उनका सिर शरीर से अलग हो जाएगा लेकिन पार्वती जी के कहने पर शनि देव ने गणेश जी की ओर नजर उठाकर देख लिया, जिसके परिणामस्वरूप गणेश जी का सिर उनके शरीर से अलग हो गया। ब्रह्मावैवर्त पुराण में ये भी बताया गया है कि शनि देव के देखने पर जब गणेश जी का सिर उनके शरीर से अलग हुआ तो उस समय भगवान श्रीहरि ने अपना गरुड़ उत्तर दिशा की ओर फेंका, जो पुष्य भद्रा नदी की तरफ जा पहुंचा था। वहां पर एक हथिनी अपने एक नवजात बच्चे के साथ सो रही थी। भगवान श्रीहरि ने अपने गरुड़ की मदद से हथिनी के बच्चे सिर काटकर गणेश जी के शरीर पर लगा दिया था, जिसके बाद एक बार फिर गणेश जी को जीवन मिला। कथा के मध्य भगवान गणेश जी की सजीव झांकी भी सजाई गई जिसे देखकर श्रद्धालु भक्त भाव विभोर हो गए। कथा का समय 1:00 से सायंकाल 5:00 बजे तक का रखा गया है। कथा स्थल को सुंदर वाटर प्रूफ टेंट बनाकर सजाया गया। कथा श्रवण हेतु महिलाओं एवं पुरुषों की बैठने के लिए अलग-अलग सुन्दर व्यवस्था सराहनीय रही। इससे पूर्व दिवस 2 फरवरी बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर रात्रि को भंडारा महाप्रसाद का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों की संख्या में भक्तगण ने प्रसाद लिया। इस अवसर पर लावरेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं ट्रस्टी इंद्र कुमार मोदी दिल्ली, सुरेश चंद्र पंसारी, कृपा शंकर मोदी मुंबई, ओमप्रकाश तुलस्यान चेन्नई, राजकुमार अग्रवाल जयपुर, राधेश्याम ढंढारिया जयपुर, अनिल टेकड़ीवाल एवं दिनेश गुप्ता दिल्ली, परमेश्वर हलवाई, रमाकांत एवं प्रदीप जालान सूरत, जयपुर से प्रमोद अग्रवाल, नरेश अग्रवाल, नवीन अग्रवाल, पूनम ढंढारिया, संजय अग्रवाल, शिखर चंद बैराठी, विनोद अग्रवाल, मुंबई से गोपी राम मोदी, संत कुमार मोदी, सूरत से विमल ढंढारिया, सुशील तुलस्यान हैदराबाद, चेन्नई से महावीर प्रसाद गुप्ता एवं गजेंद्र मोदी, अशोक अग्रवाल नीमकाथाना, रामकिशन लोहिया मुंबई, विशाल गोयल काठमांडू, मनीष गोयल अजमेर, स्थानीय कार्यकारिणी सदस्य बुद्धि प्रकाश अग्रवाल, श्रीकांत पंसारी, कैलाश अग्रवाल, कैलाश चंद्र सिंघानिया, अर्जुन वर्मा, शरद शर्मा, पवन केजडीवाल, नवल किशोर खंडेलिया, विनोद सिंघानिया, एडवोकेट संजय शर्मा, उमाशंकर मंहमिया, पवन पुजारी, विनोद पुरोहित, डॉ.भावना शर्मा, महेश बसावतिया, रामगोपाल मंहमिया, राकेश तुलस्यान, डॉ.डीएन तुलस्यान, श्री गोपाल हलवाई, शिवचरण हलवाई, नितिन नारनोली, अनिल केजडीवाल, निर्मल मोदी, सुभाष जालान, पंडाल एवं स्टेज डेकोरेटर आशीष श्रीमोहन तुलस्यान, टेंट वाले रामावतार जांगिड़ सहित अन्यजन बड़ी संख्या में उपस्थित थे। 4 फरवरी मंगलवार को कथा में श्री हनुमान जन्मोत्सव की कथा का वर्णन महाराज श्री करेंगे।

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