श्रद्धा के साथ मनाया गया गुरु गोविंद सिंह का जयंती प्रकाश पर्व

AYUSH ANTIMA
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अलवर: सिखों के 10वें गुरु दशमेश पिता श्री गुरु गोविंद सिंह जी का जयंती पर्व अलवर में बड़े हर्षोल्लाह से मनाया गया। शहर के लाजपत नगर गुरुद्वारे में सुबह से गुरबाणी कीर्तन और पाठ का कार्यक्रम जारी रहा। देश के ख्यातनाम पारगी जाटों ने गुरुवाणी के माध्यम से संगतों को निहाल किया। गुरुद्वारे के सेवादार परमजीत सिंह गोगिया ने बताया कि गुरु गोविंद सिंह न केवल योद्धा थे बल्कि संत और सिपाही भी थे, जिन्होंने धर्म की रक्षा की लेकिन मुगल धर्म को स्वीकार नहीं किया और देश को धर्म के मार्ग पर चलने का एक नया रास्ता दिखाया। वही गुरुद्वारे के सेवादार हरमीत मेहंदीरत्ता ने बताया कि श्री गुरु गोविंद सिंह संत, सिपाही नहीं एक विद्वान लेखक भी थे, जिनका साहित्य आज भी सभी का मार्गदर्शन करता हैं। वही, अलवर खंडेलवाल धर्मशाला के पास स्थित गुरुद्वारा श्री सुखधाम साहिब में भी गुरु गोविंद सिंह जयंती बड़े धूमधाम से मनाई गई। सेवादार मनीष अरोड़ा ने बताया कि गुरु गोविंद सिंह जी न केवल किसी एक धर्म के बल्कि सभी धर्मो के लिए एक मिसाल है, जिन्होंने धर्म की रक्षा के लिए पूरे परिवार का बलिदान दे दिया तभी गुरु गोविंद सिंह जी को सर्वस्व बलिदानी की संज्ञा दी जाती है। गुरुद्वारे के ग्रंथी रवि सेतिया ने बताया कि सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी के जयंती प्रकाश पर्व पर गुरबाणी का पाठ किया गया। अखंड पाठ के भोग के बाद अटूट लंगर वरताया गया। इसके अलावा अशोक टॉकीज स्थित मालाखेड़ा सिंह सभा गुरुद्वारा में भी रागी जत्थों ने गुरबाणी कीर्तन से संगतों को निहाल किया। सेवादार हरमीक सिंह ने बताया कि गुरु गोविंद सिंह की शिक्षाएं वर्तमान परिपेक्ष में भी सार्थक प्रतीत होती हैं, जिनको अगर व्यक्ति अपने जीवन में उतारे तो उसका उद्धार हो जाए। उल्लेखनीय है कि सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी न केवल स्वयं गुरु थे बल्कि उन्होंने दीक्षा देकर स्वयं दीक्षा दिए हुए दीक्षार्थियों से भी स्वयं दीक्षा ली तभी कहा जाता है वह-वह गोविंद सिंह आप ही गुरु चेला।
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