श्री छांपाला वाला भैंरूजी का 16वाँ वार्षिकोत्सव समारोह गुरूवार को: विशाल मेला, भण्डारा व जागरण का होगा आयोजन*

AYUSH ANTIMA
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कोटपूतली (रमेश बंसल मुन्ना): निकटवर्ती ग्राम कल्याणपुरा कुहाड़ा स्थित अरावली की पहाडिय़ों में बने श्री छांपाला वाला भैंरूजी मंदिर का 16वाँ वार्षिकोत्सव समारोह 30 जनवरी, गुरूवार को बड़े ही धुमधाम व हर्षोल्लास के साथ आयोजित किया जायेगा। इस मौके पर विशाल व भव्य मेला, भण्डारा व जागरण का आयोजन होगा। इससे पूर्व बुधवार को 11 हजार महिलाओं द्वारा विशाल व भव्य कलश यात्रा निकाली गई। पं.सीताराम शर्मा, सत्यदेव शर्मा व महेंद्र शर्मा ने विधि विधान से पूजा अर्चना करके कलश यात्रा को रवाना किया। कलश यात्रा में 21 डीजे साउण्ड के साथ रंग-बिरंगे परिधानों में सजी 11 हजार महिलायें अपने सिर पर कलश लेकर चोटिया मोड़ से चलकर करीब 03 किलोमीटर की यात्रा कर श्री छांपाला वाला भैंरूजी मन्दिर पहुँची। कलश यात्रा में विधायक प्रतिनिधि श्रीमती राधा देवी पटेल ने भी भाग लिया। जयराम जैलदार, यादराम, श्योराम, बबलू, लालचंद, कैलाश धाबाई समेत अन्य ग्रामीणों ने बताया कि 551 क्विंटल चूरमा की महाप्रसादी तैयार की जा चुकी है, जिसे बनाने के लिये जेसीबी, ट्रैक्टर ट्रॉलियां व थ्रेसर काम में लिया गया हैं। इस खास अंदाज में बनाये जाने वाले चूरमे के कारण ये विशाल भंडारा पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है। मेले में आसपास के ग्रामीण अपने स्तर पर ही प्रसादी बनाने से लेकर समूची व्यवस्थायें संभालते हैं। भैंरूजी को विशेष प्रसादी में दाल, चूरमा और दही का भोग लगाया जाता है। मंदिर के वार्षिकोत्सव पर सवाईमाधोपुर, ग्वालियर, झालावाड, कोटा, पीपलखेड़ा, मुरैना व जयपुर सहित दूरदराज से श्रद्धालु आते हैं। मंदिर परिसर में प्राचीन भैरव बाबा की मूर्ति स्थापित हैं। इनके साथ ही सवाई भोज, शेड माता, हनुमान की मूर्ति स्थापित हैं। इस पूरे आयोजन में खास बात यह है कि प्रसादी बनाने के लिए ग्रामीण हलवाई की बजाय खुद प्रसादी बनाते हैं। पंगत प्रसादी से लेकर पार्किंग व्यवस्था की कमान भी ग्रामीण ही संभालते हैं। इस मौके पर स्थानीय गायक कलाकार ढप की ताल पर धमाल गाते हैं। आयोजन से पूर्व स्थानीय विधायक हंसराज पटेल ने पहुंचकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। वार्षिकोत्सव पर भैरुंजी बाबा मंदिर पर हैलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की जायेगी। मेले में हैलीकॉप्टर के लिए हेलीपैड भी बना हुआ है। आस्था और विश्वास के इस महाउत्सव की तैयारियों में ग्राम कल्याणपुरा, कूहाड़ा, पदमा की ढ़ाणी, पंवाला राजपूत, हरीपुरा, हीरान की ढ़ाणी, बोपिया, चुरी सहित आसपास के करीब 08 गांवों के लोग पिछले 15 दिनों से जुटे हुये है। मैन रोड़ पर बना मंदिर का 05 मंजिला विशाल प्रवेश द्वार भामाशाहों के सहयोग से करीब 96 लाख की लागत से बनाया गया है। इस मौके पर स्थानीय गायक कलाकार ढप की ताल पर धमाल गाते हैं। ग्रामीणों की ओर से मेले की तैयारियां जोर शोर से की जा रही है तो वहीं पुलिस प्रशासन भी मेले में उमडऩे वाली भीड़ को लेकर चौकन्ना है। मेले में प्रदेश के गृह राज्यमंत्री जवाहर सिंह बेढ़म व राज्य सैनिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष प्रेमसिंह बाजौर बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेगें जबकि विशिष्ठ अतिथियों में जयपुर ग्रामीण सांसद राव राजेन्द्र सिंह, पूर्व सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया, तिजारा विधायक महंत बालकनाथ, हरियाणा के सोहना (गुरूग्राम) से विधायक तेजपाल तंवर, भीलवाड़ा के माण्डल से विधायक उदयलाल भड़ाना, खेतड़ी विधायक इंजी. धर्मपाल गुर्जर, विराटनगर विधायक कुलदीप धनकड़, बानसूर विधायक देवीसिंह शेखावत, बहरोड़ विधायक जसवंत यादव, शाहपुरा विधायक मनीष यादव, खण्डेला विधायक सुभाष मील, यूपी के सरदना से विधायक अतुल प्रधान, गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय बैंसला, नीमकाथाना विधायक सुरेश मोदी, जिला प्रमुख रमा चौपड़ा समेत बड़ी संख्या में अतिथिगण भाग लेगें। वहीं अध्यक्षता क्षेत्रीय विधायक हंसराज पटेल द्वारा की जायेगी। इस मौके पर मुकेश एण्ड पार्टी (जमालपुर),  शिंभु एंड पार्टी (मूसनौता), बीरबल एण्ड पार्टी (देवीपुरा), मक्खन महासी एण्ड पार्टी (बन की ढ़ाणी), मुखराम (बगड़ावत एण्ड पार्टी मूसनौता), ख्यालीराम, श्योराम, जगदीश मण्ढ़ा और आंतेला डप, मंजीरा द्वारा धमाल कार्यक्रम की प्रस्तुती दी जायेगी। 

*मेले में प्रत्येक ग्रामीण देता है सेवा*

सरपंच विक्रम छावड़ी ने बताया कि मेले में लाखों श्रद्धालू भैंरू बाबा के दर्शन करने आते है। मेले में श्रद्धालूओं के लिये 551 क्विंटल प्रसादी तैयार की गई है। गांव के प्रत्येक घर से एक व्यक्ति रोजाना अपना समय निकालकर यहां अपनी सेवा दे रहा है। एक समय में यहां कम से कम 100 लोगों की टीम हमेशा रहती है। चूरमा बनाने में 150 क्विंटल आटा, 80 क्विंटल सूजी, 30 क्विंटल देसी घी, 100 क्विंटल खांड, 20 क्विंटल मावा, 03 क्विंटल बादाम, 03 क्विंटल किशमिश, 03 क्विंटल काजू, 80 क्विंटल बूरा, 07 क्विंटल मिश्रि कटिंग, 03 क्विंटल खोपरा, 100 क्विंटल दूध आदि सामग्री काम में ली गई है। वहंीं दाल बनाने में 50 क्विंटल दाल, 30 पीपा सरसों तेल, 05 क्विंटल टमाटर, 02 क्विंटल हरी मिर्ची, 01 क्विंटल हरा धनिया, 60 किलो लाल मिर्च, 60 किलो हल्दी, 50 किलो जीरा, 50 किलो लसन आदि सामग्री काम में ली जायेगी। ग्रामीण मेले को इतने व्यवस्थित ढंग से संपन्न कराते हैं कि पुलिस प्रशासन भी हैरान रहता है। मेले में आने वाले हजारों वाहनों के लिए ग्रामीण पार्किंग की व्यवस्था तक खुद संभालते हैं। मेले में 21 स्कूलों के करीब 05 हजार विद्यार्थी अपनी सेवाएं देंगे तो वहीं 03 हजार पुरूष व 500 महिलाएं भी वालंटियर्स के रुप में तैनात रहेंगी। प्रसादी वितरित करने के लिए ढ़ाई लाख पत्तल-दोने, चाय कॉफी के लिए 04 लाख कप मंगवा लिए गए हैं। मेले में पेयजल आपूर्ति के लिए 15 टैंकर तैनात रहेंगे। मेले में एम्बुलेस, फायर बिग्रेड आदि संसाधन तैनात रहेंगे।

*116 सीढिय़ां चढकऱ पहुंचते हैं मंदिर*

यह मंदिर कोटपूतली-सीकर स्टेट हाईवे पर है। इसके लिए मुख्य सडक़ से 02 किलोमीटर अंदर जाना होता है। इन दो किमी में 03 भव्य दरवाजों से गुजरना पड़ता है। इसके बाद तलहटी से एक पहाड़ पर चढऩा होता है। करीब 116 सीढिय़ां चढकऱ मंदिर परिसर तक पहुंचा जा सकता है। मंदिर परिसर में प्राचीन भैरव बाबा की मूर्ति स्थापित हैं। इनके साथ ही सवाई भोज, शेड माता व हनुमान जी की मूर्ति स्थापित हैं। वार्षिकोत्सव पर सवाई माधोपुर, ग्वालियर, झालावाड़, कोटा, पीपलखेड़ा, मुरैना, मध्यप्रदेश, हरियाणा, दिल्ली समेत दूर-दराज से श्रद्धालु भैंरू बाबा के दर्शन करने आते हैं। 

*ऐसे शुरू हुई महाप्रसादी की परम्परा*

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक सोनगिरी पोसवाल नामक व्यक्ति भैंरू जी का भक्त था। जो भंैरू बाबा की मूर्ति को ग्राम कुहाड़ा में स्थापित करवाना चाहता था। भक्त भैंरू बाबा की मूर्ति लाने काशी चला गया। भैंरू बाबा ने सपने में दर्शन देकर सोनगिरी से बड़े बेटे की बलि मांगी, जिस पर वह बेटे की बलि देकर भैंरूजी की मूर्ति लेकर चल देते हैं। भैंरू बाबा परीक्षा से खुश होकर पुत्र को जीवित कर देते हैं। जिसके बाद भक्त व उसके बेटे ने पंच पीरों के साथ गांव में मूर्ति की स्थापना विधि विधान से जागरण व भण्डारे के साथ की। आज भी प्राचीन पंचदेव खेजड़ी वृक्ष की पूजा होती है। यहां लगने वाले मेले की खास बात है कि यहां खिलौनों की दुकान, चाट पकौड़ी के ठेले व झूले लगाने की अनुमति नहीं दी जाती है। प्रतिवर्ष होने वाले लक्खी मेले में लाखों की संख्या में भक्त एकत्रित होते हैं। वहीं जनप्रतिनिधि एवं नेतागण भी बाबा के दरबार में धोक लगाते हैं। 

*खेजड़ी वृक्ष की भी होती है पूजा*

सोनगिरा पोषवाल प्रथम के सोनगिरा द्वितीय पैदा हुआ। जिसने अपनी बेटी पदमा पोषवाल की शादी बगड़ावत    सवाई भोज के साथ मिति बैशाख सुदी नवमी वार रविवार संवत् 934 में की। जिसमें पंचदेव खेजड़ी वृक्ष का मंडप लगाया गया, जो वर्तमान में भी मौजुद है। जिसकी आज भी पुजा होती है। पदमा पोषवाल ने वरदान दिया कि जिस स्त्री के संतान सुख नहीं है वह मंडप में उपस्थित जड़ के नीचे से निकलने पर उसको संतान सुख प्राप्त होगा। पोषवाल गौत्र पर इसका वरदान लागु नहीं होता है। तभी से आसपास के क्षेत्र में भैरू बाबा व खेजड़ी के वृक्ष की पूजा होने लगी तथा हजारों की संख्या में लोग इसके दर पर आने लगे।

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