एक पुरानी फिल्म का गाना याद आता है पानी रे पानी तेरा रंग कैसा, जिसमें मिला दें लगे उस जैसा.... यह गाना पिलानी विधानसभा खासकर शेखावाटी क्षेत्र के लिए उपयुक्त बैठता है। पीने के पानी की समस्या से जूझ रहे पिलानी के आवाम ने पानी के बहुत से राजनीतिक रंग देखे हैं। पिछले लगभग पांच दशक से यही पानी कांग्रेस राजनीतिक दल के रंग में रंगा रहा था। जिले के एक कांग्रेसी कद्दावर नेता पानी को हर चुनाव में अपना मुद्दा बनाकर चुनाव जीतते रहे। कांग्रेस के ही तत्कालीन विधायक जेपी चंदेलिया, जो अब भाजपा की शोभा बढ़ा रहे हैं, पांच साल इसी मुद्दे को लेकर अभिनंदन करवाते रहे और उन्होंने तो पानी पिलानी की देहरी तक लाकर भी छोड़ दिया था। अब सवाल उठता है राजस्थान में कांग्रेस नीत अशोक गहलोत की सरकार थी, उस समय जेपी चंदेलिया ने भी इस मुद्दे को विधानसभा में बहुत ही जोरदार ढंग से उठाया था। मुझे याद है अपने भाषण में जेपी चंदेलिया भावुक भी हो गये थे लेकिन उन्हीं के दल की सरकार में उनकी आवाज को तवज्जो नहीं दिया गया। अब इस मुद्दे पर वर्तमान विधायक वाहवाही लूट रहे हैं कि उन्हीं के प्रयासों से 7799 करोड़ रुपये की परियोजना स्वीकृत हो गई है। उनके बयान के अनुसार उन्होंने इस मुद्दे को विधानसभा मे बहुत ही जोरदार तरीके से उठाया था, उसके फलस्वरूप इस परियोजना को स्वीकृति मिली है। अब विधायक महोदय के दावे के सच का पोस्टमार्टम करें तो क्या भजन लाल शर्मा के नेतृत्व वाली डबल इंजन सरकार विपक्ष के विधायक की मांग पर इतनी बड़ी परियोजना की स्वीकृति प्रदान कर सकती है, जो कि एक राजनीतिक लाभ वाला मुद्दा है, जिसको भजन लाल शर्मा सरकार बहुत ही सहर्ष भाव से कांग्रेस की झोली में डाल देगी कितना हास्यास्पद लगता है।
झुन्झुनू जिले के ऐसे ही एक काम की चर्चा करना भी जरुरी हो जाता है कि जनहित की बात करने वाली सरकारें किस तरह विपक्ष के विधायको व उनके द्वारा उठाए गये मुद्दों को अहमियत देती है। राजस्थान में गहलोत सरकार थी व केन्द्र मे मोदी सरकार पिछले करीब एक दशक से ज्यादा से है। झुन्झुनू रेलवे क्रासिंग पर बनने वाले पुल के लिए रेलवे ने अपने हिस्से का पैसा तब तक नहीं दिया, जब तक राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी और उस ओवरब्रिज का काम अधूरा पड़ा रहा क्योंकि राजनीतिक दल जनहित नही बल्कि निजहित देखकर ही किसी परियोजना के लिए धन उपलब्ध करवाती है। सूत्रों की मानें तो तत्कालीन सांसद संतोष अहलावत ने भी इसके लिए बहुत प्रयास किए थे, तत्कालीन सरकार के साथ उनका पत्र व्यवहार इस बात का गवाह है लेकिन वहां भी वही बात देखने को मिली की सरकार ने संतोष अहलावत की मांग अनसुनी कर दी थी। यदि इस परियोजना का श्रेय स्थानीय भाजपा नेता लेते हैं तो बात कुछ गले जरूर उतरती है क्योंकि पिलानी के उत्सव मैदान में भजन लाल शर्मा की आमसभा में मंच से पिलानी विधानसभा प्रत्याशी ने केवल पिलानी विधानसभा के लिए पानी की मांग की थी। खैर, यह तो झुन्झुनू जिले में किसी भी काम का श्रेय लेने की होड़ लगी हुई है और शायद उसी परिपाटी का अनुसरण वर्तमान पिलानी विधायक महोदय कर रहे हैं कि उन्हीं के प्रयासों से कुंभाराम लिफ्ट परियोजना का पानी पिलानी विधानसभा को मिलेगा। वैसे मुझे एक मारवाड़ी कहावत याद आती है कि टीको तो बहोत लांबो काढलियो पणं बेरो जदै पटगो जदै सूखगो, क्योंकि अभी तक स्वीकृति मिली है, धरातल पर परियोजना आयेगी तभी पता लगेगा क्योंकि वादे सुनते सुनते जनता की आंखों में पानी आ गया। आयुष अंतिमा (हिन्दी समाचार पत्र) ने आवाम की आवाज बनकर पीने के पानी को लेकर अपने लेखों में लगातार इस मुद्दे को सरकार व आमजन की अदालत में रखने का काम किया था कि पिलानी विधानसभा के लिए पीने के पानी के लिए तात्कालिक उपाय केवल और केवल कुंभाराम लिफ्ट परियोजना ही है। सूत्रों की मानें तो इस परियोजना को लेकर टैंडर भी हो गये है और जल्द ही यह परियोजना धरातल पर दिखाई देगी।