भीलवाड़ा (श्रीराम इंदौरिया): संगम विश्वविद्यालय, भीलवाड़ा के भू-सूचना विज्ञान विभाग द्वारा “राष्ट्रीय सुरक्षा हेतु भू-स्थानिक दृष्टिकोण: एक सामाजिक परिप्रेक्ष्य” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल आयोजन 7–8 अक्टूबर, 2025 को किया गया। इस संगोष्ठी को भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) – उत्तर क्षेत्रीय केंद्र द्वारा प्रायोजित किया गया था। कार्यक्रम में देश भर से आए प्रतिष्ठित शिक्षाविदों, रक्षा विशेषज्ञों, अंतरिक्ष वैज्ञानिकों, पुलिस अधिकारियों एवं शोधार्थियों ने भाग लिया।संगोष्ठी का सफल संचालन संगम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.करुणेश सक्सेना के नेतृत्व में हुआ, जिनका सहयोग प्रो.मानस रंजन पाणिग्रही (प्रो-वाइस चांसलर) एवं डॉ.आलोक कुमार (रजिस्ट्रार) ने किया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ.लोकेश कुमार त्रिपाठी, विभागाध्यक्ष, भू-सूचना विज्ञान विभाग रहे। डॉ.मुकेश शर्मा एवं प्रो.विकास सोमानी सह-संयोजक के रूप में योगदान दिए। डॉ.संदीप चौरसिया ने आयोजन सचिव की भूमिका निभाई। दोनों दिनों में तकनीकी सत्रों के माध्यम से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), GIS, रिमोट सेंसिंग, आपदा प्रबंधन, सुरक्षा रणनीति और सामाजिक प्रभाव जैसे विषयों पर गहन चर्चा हुई। शोध पत्र प्रस्तुतियाँ और पैनल परिचर्चाएं भी संगोष्ठी का अभिन्न हिस्सा रहीं। समापन सत्र में डॉ.एमपी पुनिया, प्रख्यात शिक्षाविद एवं BIT, जयपुर से मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। अपने संबोधन में उन्होंने संगोष्ठी के विषय को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अत्यंत प्रासंगिक बताया। प्रो.पीके सिंह, MLSU, उदयपुर से एवं धर्मेन्द्र सिंह, IPS, पुलिस अधीक्षक, भीलवाड़ा ने भी संगोष्ठी को संबोधित किया। उन्होंने पुलिस व्यवस्था में भू-स्थानिक डाटा के उपयोग जैसे अपराध नियंत्रण, यातायात प्रबंधन और आपातकालीन सेवाओं पर प्रकाश डाला। समारोह में डॉ.मुकेश शर्मा द्वारा विस्तृत संगोष्ठी प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया, जिसमें प्रमुख निष्कर्ष और सत्रों की झलक साझा की गई।
कार्यक्रम का समापन प्रो.विकास सोमानी द्वारा प्रस्तुत धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें सभी अतिथियों, प्रतिभागियों, आयोजकों एवं ICSSR-NRC का आभार प्रकट किया गया।
यह संगोष्ठी भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी, राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक विकास के बीच गहरे संबंध को उजागर करने में सफल रही। इसने शैक्षणिक, रक्षा और वैज्ञानिक समुदायों के बीच सहयोग एवं संवाद को प्रोत्साहित किया और भविष्य में शोध व नीति निर्माण की दिशा में मार्ग प्रशस्त किया।