सिंघानिया विश्वविद्यालय में "महर्षि वाल्मीकि रचित रामायणस्य आधुनिक परिप्रेक्ष्य उपादेयता" विषय पर एक दिवसीय संस्कृत संगोष्ठी का आयोजन

AYUSH ANTIMA
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पचेरी बड़ी/झुंझुनू (राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला): सिंघानिया विश्वविद्यालय एवं संस्कृत भारती के संयुक्त तत्त्वावधान में महर्षि वाल्मीकि जयंती के उपलक्ष्य में एक दिवसीय संस्कृत संगोष्ठी का आयोजन विश्वविद्यालय के सभागार में किया गया। संगोष्ठी का विषय था “महर्षि वाल्मीकि रचित रामायणस्य आधुनिक परिप्रेक्ष्य उपादेयता”। अपने स्वागत भाषण में कैंपस डायरेक्टर प्रो.पीएस जस्सल ने समाज में संस्कृत मूल्यों को संजोए रखने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सिंघानिया विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के शैक्षणिक विकास के साथ-साथ नैतिक मूल्यों के उत्थान पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि अशोक सिंह शेखावत (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) रहे, जिन्होंने “आज के जीवन में वाल्मीकि रामायण क्यों आवश्यक है” विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि रामायण जीवन मूल्यों और आदर्शों का शाश्वत मार्गदर्शन है। मुख्य वक्ता कमल शर्मा (क्षेत्रीय संगठन मंत्री, संस्कृत भारती) ने संस्कृत भाषा की वैज्ञानिकता पर प्रकाश डालते हुए इसे जन-जन तक पहुँचाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को संस्कृत संभाषण का प्रयास करना चाहिए ताकि यह भाषा पुनः जनजीवन का हिस्सा बन सके। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित हिमांशु सिंह सैनी (जिला जनसंपर्क अधिकारी) ने कहा कि संस्कृत भाषा सदैव उन्हें प्रेरित करती रही है। उन्होंने बताया कि वाल्मीकि रामायण विश्व के अनमोल ग्रंथों में से एक है, जिसका अध्ययन जीवन की हर समस्या का समाधान प्रस्तुत करता है। सम्मानित अतिथियों में गणेश नारायण डूगलच ने भगवान श्रीराम के आदर्शों की महत्ता पर विचार साझा किए, वहीं कैलाश चतुर्वेदी (पूर्व संभागीय संस्कृत शिक्षा अधिकारी एवं जिला अध्यक्ष, संस्कृत भारती पचेरी बाड़ी) ने कहा कि संस्कृत भाषा के शब्द अनेकार्थी हैं, जिनका सही अर्थ निरंतर अध्ययन और मनन से ही संभव है। कार्यक्रम के संयोजक एवं सूत्र संचालक डॉ.सुमित शर्मा, संस्कृत विभागाध्यक्ष रहे। कार्यक्रम में रजिस्ट्रार मोहम्मद इमरान हाशमी, शैक्षणिक निदेशक डॉ.संजय दुबे, प्रो-वाइस चांसलर डॉ.पवन त्रिपाठी, एडमिन डायरेक्टर विजेंदर शर्मा, जनसंपर्क अधिकारी डॉ.मोनिका सैनी तथा डीन ऑफ रिसर्च डॉ.सुमेर सिंह भी उपस्थित रहे। विश्वविद्यालय के पूरे स्टाफ के साथ-साथ नन्द किशोरी शर्मा, कृष्णानंद जी, विजय सिंह शेखावत (वरिष्ठ अध्यापक, बख्तावरपुरा), सुरेंद्र शर्मा (प्रधानाध्यापक, संस्कृत विद्यालय बख्तावरपुरा), विमल जी (विभाग संगठन मंत्री), रिद्धू सिंह जी, राकेश शर्मा (प्रधानाध्यापक, मेहरमपुर वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय), रवि दत्त शर्मा (प्रधानाध्यापक, वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय दलोता), ओमप्रकाश बोहरा (पूर्व सरपंच, पचेरी), अभिमन्यु शर्मा (प्रमुख ज्योतिषाचार्य), सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन मंगलाचरण और धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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