समस्त प्राणियों के दुःखों के नाश की इच्छा ही आयुर्वेद की मूल भावना: महामंडलेश्वर स्वामी अर्जुन दास

AYUSH ANTIMA
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बगड़ (राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला): श्रीदादूद्वारा में धन्वंतरि जयंती व औषधालय स्थापना दिवस पर हुआ विधिवत पूजन हवन, आयुर्वेद का उद्देश्य है व्यक्ति को पूर्ण रूप से स्वस्थ बनाना।
दीपोत्सव पर्व के शुभ अवसर पर धनतेरस पर नगर के मुख्य बाजार स्थित श्रीदादूद्वारा में वैद्य श्री आत्माराम स्वामी धर्मार्थ आयुर्वेदिक औषधालय का 29वां स्थापना दिवस आरोग्य देव भगवान धन्वंतरि की जयंती विधिवत पूजन व हवन के साथ श्रद्धा-भक्ति से मनाई गई। कार्यक्रम का आयोजन परम पूज्य महामण्डलेश्वर डॉ.स्वामी अर्जुन दास जी महाराज के सान्निध्य में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर महामण्डलेश्वर महाराजश्री ने कहा आयुर्वेद का लक्ष्य केवल रोग का निवारण करना नहीं, बल्कि व्यक्ति को तन व मन दोनों से स्वस्थ बनाकर 'स्व' में स्थित करना है। महर्षि चरक ने भगवान धन्वंतरि की भावना को प्रकट करते हुए लिखा है — “न राज्यं न स्वर्गं न पुनर्भवम्। केवलं दुःखानाम् नाशम् इच्छामि।” अर्थात वे मोक्ष या राज्य नहीं, अपितु समस्त प्राणियों के दुःखों के नाश की इच्छा रखते थे। यही आयुर्वेद की मूल भावना है। आयुर्वेद न केवल रोग के उपचार में सहायक है, बल्कि इसके माध्यम से जीवन की समग्र व्यवस्था — आहार, विहार, दिनचर्या, रात्रिचर्या और ऋतुचर्या के नियमों द्वारा निरंतर स्वास्थ्य की रक्षा संभव है। आचार्य वैद्य सचिदानंद ओझा ने विधिवत पूजा करवाई। इस अवसर पर श्रीदादू द्वारा के सर्वाधिकारी शिष्य रोहित स्वामी, आशीषदास स्वामी सहित नगर के अनेक श्रद्धालु व गणमान्यजन उपस्थित रहे। इनमें व्यापार मंडल अध्यक्ष जितेंद्र सिंह शेखावत, वीरेंद्र सिंह शेखावत, मुकेश काशिमपुरिया, इंद्रप्रकाश लाटा, जितेंद्र उदयसिंह शेखावत, मुकेश कुमावत, सतीश माहेश्वरी, कन्हैयालाल सहल, प्रकाश माहेश्वरी, सुभाष राठौड़, लाखन सेन, सुरेश सैनी, विष्णु शर्मा, पियूष खटोड़, मानसिंह शेखावत आदि ।
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