बढ़ रही हैं मेरी बेटियां आगे, इनको आगे बढ़ने दो। मिले इनको हर अधिकार, अपने सपनों को गढने दो।। जब एक बेटी पढ़ती है तो सात पीढ़ियां तरती हैं, एक नहीं दो घरों की रोशन बगिया करती हैं, कई जन्मों के पुण्य का फल बेटी रूप में मिलता है। उस लक्ष्मी के आगमन से घर का कोना कोना खिलता है, पूरी हो जाती है, मां-बाप की आकांक्षा जब उसकी सलोनी हंसी देखने को मिलती है।। वह वीरा बन साहस अपना दिखलाती है, उसके कोकिल कण्ठों से आवाज लता की आती है। अनमोल तो बस यही चाहे इस अवनि की बेटियां, हर पल गुनगुनाती रहें, बुलबुल की सी चहक हो उनकी बस वो हर पल मुस्कुराती रहें।।।
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