नई दिल्ली (श्रीराम इंदौरिया): दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के चुनावों में इस बार राजनीति विज्ञान विभाग, रामानुजन कॉलेज के सहायक प्राध्यापक शैलेन्द्र पाठक ने कार्यकारी पद हेतु अपनी दावेदारी पेश कर चुनावी सरगर्मी को नई धार दी है। शिक्षकों की आवाज़ को मज़बूत मंच देने और उनकी समस्याओं के समाधान के उद्देश्य से पाठक ने क्लास वन गैजेटेड ऑफिसर का पद त्यागकर मई 2023 में पुनः शिक्षण जगत को चुना। उनका यह निर्णय बताता है कि वे सेवा भावना से प्रेरित होकर शिक्षा और शिक्षक समुदाय के लिए समर्पित हैं। दिव्यांग अधिकारों और वंचित वर्गों के लिए उनके लगातार कार्यों ने उन्हें “दिव्यांगों का मसीहा” की उपाधि दिलाई है। यही कारण है कि अनेक दिव्यांग शैक्षिक संगठनों ने खुले तौर पर उनके प्रत्याशी बनने का समर्थन किया है। कानपुर में जन्मे और क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर से स्नातक, लखनऊ विश्वविद्यालय से लोक प्रशासन में परास्नातक तथा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले पाठक ने शिक्षा, प्रशासन और सामाजिक सेवा—तीनों क्षेत्रों में अपना विशिष्ट स्थान बनाया है।
वे पूर्व में भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के अंतर्गत नेहरू युवा केंद्र संगठन (एनवाईकेएस) में सहायक निदेशक के रूप में सेवाएँ दे चुके हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने तीन वर्षों तक एक अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन में प्रशिक्षण विशेषज्ञ के रूप में कार्य किया और भारत के ग्रामीण अंचलों में स्वयं सहायता समूहों के साथ गहराई से जुड़कर कार्य किया।
40 से अधिक बार रक्तदान कर चुके पाठक वर्तमान में दिव्यांग अधिकार परिषद के उपाध्यक्ष, लोक उत्थान पहल फाउंडेशन के राष्ट्रीय सचिव और सक्षम टीचर्स फोरम के राष्ट्रीय सह संयोजक हैं। उनकी छवि एक ऐसे शिक्षाविद और समाजसेवी की है, जो केवल व्याख्यान कक्ष में ही नहीं बल्कि समाज और शिक्षक समुदाय की जमीनी ज़रूरतों में भी सक्रिय रहते हैं। डूटा चुनाव में उनकी दावेदारी को शिक्षक समाज की सशक्त आवाज़ और वंचित वर्गों के अधिकारों के प्रतिनिधित्व के रूप में देखा जा रहा है।