भक्ति में ही शक्ति है और शक्ति से ही मुक्ति है: भाद्रपद मास में सेकंडों युवाओं ने किया महा मस्तकाभिषेक

AYUSH ANTIMA
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निवाई (लालचंद सैनी): भाद्रपद मास के पावन पर्व के चलते बिचला जैन मंदिर के तेरापंथी मंदिर में संघ के सभी सदस्यों ने श्रद्धा और भावना से अभिषेक व शांतिधारा की। जैन धर्म प्रचारक विमल जौंला एवं सुनिल भाणजा ने बताया कि भाद्रपद मास को जैन धर्म में अनंत पुण्य संचय का श्रेष्ठ अवसर माना जाता है। इस माह में जैन समाज के जिनोदय युवा संघ के सदस्यों ने बिचला जैन मंदिर में भक्ति और समर्पण के अद्वितीय उदाहरण से सुशोभित किया। मंगलवार को जैन मंदिर में पण्डित सर्वज्ञ शास्त्री ने मंत्रोच्चार के साथ भगवान सुपार्श्वनाथजी, भगवान शांतिनाथजी, भगवान पाश्र्वनाथजी एवं भगवान महावीर स्वामीजी के क्षीरसागर के जल से चारों दिशाओं में मस्तकाभिषेक करके जिनोदय युवा संघ के युवाओं ने शांतिधारा की। इस दौरान युवाओं ने भजनों के साथ तीर्थंकरों की आराधना की। इस अवसर पर संघ के अक्षय पांडया व राकेश संघी ने बताया कि धर्मप्रेम व सामूहिक भक्ति का यह अद्भुत दृश्य न केवल मंदिर परिसर को पवित्र कर गया, बल्कि सभी के अंतर्मन में शांति, संतोष और आत्मिक बल का संचार कर गया। जिनोदय युवा संघ के इस सामूहिक भक्ति आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि जब युवा धर्म से जुड़ते हैं, तो समाज में अध्यात्म का प्रकाश और अधिक प्रखर हो उठता है। आज के भौतिकवादी युग में ऐसे आयोजन न केवल परंपरा को जीवित रखते हैं बल्कि आने वाली पीढियों को भी धर्म से जोड़ते हैं। जिनोदय युवा संघ ने भक्ति एकता और कर्मयोग का जो उदाहरण प्रस्तुत किया है, वह निश्चय ही अनुकरणीय है। इस पुण्य के प्रभाव से संघ और नगर दोनों ही आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर होंगे। उन्होंने बताया कि भक्ति में ही शक्ति है और शक्ति से ही मुक्ति है।

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