चिड़ावा (राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला): भगवान विष्णु का एक नाम विवाह भी है, जो भी भक्त एकनिष्ठ होकर भगवान के चरणों मे अपने आपको समर्पित कर देता है, भगवान उसे अपना बना लेते है। भक्ति का तातपर्य है स्व का भंजन अर्थात अपने होने का भान त्यागकर सबकुछ भगवान को ही समझना। उक्त कथन वाणी भूषण प्रभुशरण तिवाड़ी ने इंडाली के श्रीबूडला बालाजी मंदिर मे चल रहीं राम कथा के तृतीय दिवस राम जानकी विवाह के अवसर पर व्यास पीठ से प्रवचन देते हुए कहे। तिवाड़ी ने मनुष्य का परम् उद्देश्य भगवान की प्राप्ति को बताया। वही कथा में ताड़का वध, अहिल्या उद्धार, धनुष यज्ञ की कथा का विस्तार से वर्णन किया गया। कथा में राम जानकी विवाह की सजीव झाकी एवं भक्तिमय संगीत ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया। कथा से पूर्व पंडित सियाराम शास्त्रीके आचार्यत्व में यजमान जयराम शर्मा ने सपत्निक पूजन किया। कथा मे पंडित रामरतन शर्मा, ताराचंद स्वामी, रामकुमार मीणा, पुजारी सुनील शर्मा, बजरंग सिंह शेखावत, माधो सिंह राजपूत, मोहन लाल शर्मा, रमेश शर्मा, महावीर प्रसाद, गोकुल प्रसाद, गणेश शर्मा, राजेश देग, मूंगाराम, गुलझारी लाल, कम्पाउडर ओम प्रकाश शर्मा, रामनाथ लाम्बा, नोरंग राम मीणा, महिपाल लाम्बा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु महिला - पुरुष मौजूद रहे।
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