झुंझुनूं जिले के नेता और सौगातो की बौछार

AYUSH ANTIMA
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आज के नेता आत्मविश्वास से इतने सराबोर है कि उनकी हर बात पर आवाम विश्वास कर लेगा। भारतीय राजनीति का वह दौर चला गया, जब घर का एक बुजुर्ग नेताओं को वोट के लिए हां कर देता था व अंत तक अपनी बात पर अडिग भी रहता था। आज के दौर में मतदाता बहुत परिपक्व होने के साथ ही घर के बुजुर्ग को भी दरकिनार कर दिया व बटन दबाने तक यह नहीं कहा जा सकता कि वोट कहां जायेगा। झुंझुनूं जिले की बात करें तो राजस्थान में डबल इंजन सरकार के गठन के साथ ही एक नये मुहावरे का सृजन हुआ है कि नेताजी की जुबान पर वही होता है कि मुख्यमंत्री ने दी सबसे बड़ी सौगात। यह सौगातों का दौर बजट आने से शुरू होकर उसकी वित्तीय स्वीकृति जारी होने तक जारी रहता है। आवाम को यह विश्वास दिलाने में कमी नहीं छोड़ते कि इससे पहले जिले के लोग पाषाण युग में जी रहे थे। 200 मीटर इंटर लाक सड़क का फीता काटते ही सबसे बड़ी सौगात का उचाव शुरू हो जाता है तत्पश्चात उक्त नेता की टीम सोशल मिडिया पर विकास पुरूष स्थापित करने के लिए पूरे दमखम के साथ उमड़ पड़ती है। कई बार तो एक ही बड़ी सौगात के दो दावेदारी करने वाले भी देखे गये। उनकी दावेदारी को लेकर जिले का आवाम खुद को बहुत सौभाग्यशाली समझता है कि अनगिनत विकास पुरूष नेता जिले की धरती पर अवतरित हो गये। झुंझुनूं मुख्यालय की बात करें तो सबसे बड़ी मूलभूत सुविधाओं में साफ सफाई होती है। इन विकास पुरूषो के विकास का विहंगम दृश्य तब देखने को मिलता है कि बरसात के दिनों में झुंझुनूं के मुख्य मार्ग गंदे पानी झील में तब्दील हो जाते हैं। बगड़ की तरफ से घुसने वाले व्यक्ति का आदर सत्कार यह गंदे पानी की झील ही करती है। यदि बरसात के दिनों में झुंझुनूं को गंदे पानी की झीलो वाला झुंझुनूं कहे तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। जब झुंझुनूं के मुख्य मार्गों के ऐसे हालात हो तो अंदर के रास्तों का अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन सौगातों की बौछारों ने झुंझुनूं को शंघाई बना दिया है। न्याय मित्र केके गुप्ता बहुत बार झुंझुनूं का दौरा कर चुके हैं लेकिन उनको इस गंदगी का आलम नहीं दिखाई देता, दिखेगा भी कैसे केके गुप्ता जब एसी कमरों से बाहर आयेंगे तब दिखाई देगा। उनके संज्ञान के लिए दो विहंगम दृश्य, जो पंच देव मंदिर मार्ग व अग्रसेन सर्किल से बगड़ रोड का है, जिसको इन सौगातों ने झुंझुनूं को झीलों की नगरी बना दिया है। सफाई और रोशनी की बात करना तो बेमानी होगा क्योंकि ठेकेदार ठेका लेना ही अपना परम कर्तव्य समझते हैं। अब तो आलम यह हो गया है कि आमजन के बीच चर्चा रहती है कि आज जिले के किसी भाग में सबसे बड़ी सौगात मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जिले में यदि सौगातों का पिटारा खुला है तो भू माफियाओं का, अतिक्रमण करने वालों का, अवैध प्लाटिंग करने वालो के, अपराधियों के, अवैध खनन करने वालो के लिए खुला है। इसको लेकर जिले के नेताओं को आमजन की पाचन क्रिया का ध्यान रखते हुए इतनी सौगातों की बौछार न करें कि हजम ही न हो।

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