पिलानी जो कभी शिक्षा नगरी के नाम से विख्यात रही थी, अपना स्वरूप खोने को है। श्री घनश्याम दास बिड़ला (जीडी बाबू) का जो सपना साकार करने में श्रद्धेय शुकदेव पांडे का जो विशिष्ठ योगदान था, उसे भुलाया नहीं जा सकता। बिरला एज्युकेशन ट्रस्ट द्वारा अनेक स्कूले बंद हो गई, जिनमें पिलानी व आसपास के बालक व बालिकाएं शिक्षा ग्रहण कर खुद को गौरवान्वित महसूस करती थी। इसी क्रम में एकमात्र पीजी महाविद्यालय एमके साबू पीजी महाविद्यालय को इस सत्र से प्रबंधकों द्वारा ताला लगाने का निर्णय लिया है। यह महाविद्यालय साबू परिवार द्वारा संचालित थी व इसके प्रथम प्राचार्य श्री विधाधर थे। उनके कुशल नेतृत्व में इस महाविद्यालय ने पिलानी व आसपास के क्षेत्र में अपना विशिष्ट स्थान बनाया। यह महाविद्यालय यूजीसी की धारा 2(f) व 12(b) के तहत मान्यता प्राप्त थी। यह दोनो धाराएं उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इनके तहत महाविद्यालय को मान्यता और वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जो संस्थानों को अपने शैक्षणिक गतिविधियों को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। इससे प्रतीत होता है कि यूजीसी से वित्तिय सहायता भी इस महाविद्यालय को शायद मिलती होगी। सूत्रों की मानें तो इस महाविद्यालय को सरकारी अनुदान भी मिलता था। जिस भूमि पर यह महाविद्यालय खड़ा है, वह भूमि भी दान स्वरुप मिली हुई थी। इस महाविद्यालय में पिलानी व आसपास की सैकड़ो बालिकाएं शिक्षा ग्रहण करती थी। सरकारें बालिका शिक्षा को लेकर बड़े बड़े दावे करती रही है लेकिन इस महाविद्यालय के बंद होने से बालिकाओ को निजी महाविद्यालय की तरफ रूख करना पड़ेगा, जो उनके अभिभावकों की जेब की पकड़ से दूर की बात होगी। आयुष अंतिमा (हिन्दी समाचार पत्र) ने अपने लेखों के माध्यम से जन प्रतिनिधियों व सरकार के संज्ञान में लाने का भरपूर प्रयास किया कि इस महाविद्यालय का अधिग्रहण कर सरकारी महाविद्यालय का रूप दे दिया जाए, जिसकी पिलानी मे बहुत जरूरत है। इसको लेकर स्थानीय विधायक पितराम सिंह काला ने अवश्य संवेदनशीलता का परिचय दिया और इस मुद्दे को विधानसभा में उठाया था। स्थानीय भाजपा नेताओं को पिलानी व आसपास के लोगों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए इसको लेकर मुखर रूप से आवाज उठाने की जरूरत है कि इस महाविद्यालय को अधिग्रहण कर सरकारी महाविद्यालय का रूप दे दिया जाए। एमके साबू पीजी महाविद्यालय की तालाबंदी निश्चित रूप से शिक्षा नगरी पिलानी के इतिहास में काला अध्याय है।
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