मुझे लकड़ी की महिमा पर कबीरदास जी का एक भजन याद आता है कि जीते भी लकड़ी मरते भी लकड़ी, देख तमाशा लकड़ी का, क्या जीवन क्या मरण, कबीरा खेल रचाया लकड़ी का .... लेकिन झालावाड़ में सनातन धर्म की मान्यताओं की चिता जलती हुई देखी गई। झालावाड़ की स्कूल के भवन ढहने से नौनिहालों की मौत के बाद उनके दाह संस्कार को लेकर शायद सरकार व प्रशासन की संवेदनाएं मर चुकी थी। उन मृत आत्माओं के दाह संस्कार के लिए झालावाड़ प्रशासन की घोर लापरवाही सामने आई कि दाह संस्कार के लिए सूखी लकड़ियों की व्यवस्था नहीं की गई। उनके दाह संस्कार की अंतिम रश्म टायरों से जलाकर करने की फोटो देखी गई। जिस दुखद हादसे को लेकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री समेत संवेदना व्यक्त की गई थी लेकिन मृत आत्माओं के दाह संस्कार के लिए सूखी लकड़ियों की व्यवस्था न कर पाना एक लोकतांत्रिक व सनातन धर्म की पोषक सरकार के लिए शर्म की बात है लेकिन इससे शर्मनाक दृश्य तब देखने को मिला कि जिन शवों पर पुष्पांजलि दी जानी चाहिए थी, उनके शवों को टायरों से जलाया जा रहा था तो दूसरी तरफ डबल इंजन भजन लाल शर्मा सरकार के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ढोल नगाड़ों के साथ 51 किलो के फूलों के हार से स्वागत करवा रहे थे। मदन दिलावर इस दुखांतिका की जिम्मेदारी लेने के बजाय अपने स्वागत सत्कार में व्यस्त थे। यह किसी राजनेता का दुस्साहस ही कहा जायेगा कि मृत आत्माओं की चिताओं पर हार पहनकर उपहास उडा रहे थे। धार्मिक व सनातनी मान्यताओं का मखौल उड़ानें में झालावाड़ प्रशासन भी जिम्मेदार है। झालावाड़ प्रशासन का यह नैतिक दायित्व बनता है कि दाह संस्कार के लिए सूखी लकड़ियों की व्यवस्था की जाए व उनकी अंतिम विदाई सनातनी मान्यताओं के अनुसार हो। यह उस सरकार की संवेदनाओं की आत्महत्या करने जैसा है, जो सनातन धर्म की पोषक बनने का ढौंग करती है। निसंदेह झालावाड़ प्रशासन ने भी अपनी नैतिक जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया। क्या झालावाड़ प्रशासन सूखी लकड़ियों की व्यवस्था नहीं कर सकता था ? मृत आत्माओं का अंतिम संस्कार सम्मान पूर्वक हो, इसकी जिम्मेदारी प्रशासन की थी। इस अमानवीय कृत्य को लेकर भजन लाल शर्मा सरकार पर प्रश्न चिन्ह लगने लाजिमी है। भजन लाल शर्मा को शिक्षा मंत्री के स्वागत सत्कार को लेकर भी सोचना होगा कि एक तरफ पूरा राजस्थान ही नहीं बल्कि देश निशब्द था और दूसरी तरफ शिक्षा मंत्री 51 किलो फूलों का हार पहनकर स्वागत सत्कार में व्यस्त थे।
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