स्वामी गंगाधर जी महाराज की स्मृति में प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला 88वां सिंधु प्रवाह दिवस बड़े हर्षोल्लास के साथ अलवर में मनाया गया

AYUSH ANTIMA
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अलवर (ब्यूरो): प्रतिवर्ष स्वामी गंगाधर जी महाराज की स्मृति में अलवर में आयोजित होने वाले सिंधु प्रवाह दिवस का 88वां वार्षिक उत्सव पूरी श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। अलवर के नवाबपुरा स्थित स्थानीय चेला सिंह जी गुरुद्वारे में सर्वप्रथम संतरेन स्वामी हरभजन शाह सिंह जी महाराज ने अपने अमृत वचनों से संगतो को निहाल किया। उसके बाद देश के नामवर रागी जत्थों ने गुरबाणी कीर्तन किया। गुरुद्वारे के नन्हे मुन्ने बच्चों ने भी गुरबाणी का पाठ कर अमृत वर्षा की। गुरुद्वारे के सेवादार महेंद्र तनेजा ने बताया कि प्रतिवर्ष होने वाले इस आयोजन मेंpppp स्वामी गंगाधर जी महाराज से जो भी मनोकामना मांगी जाती है वह अवश्य पूर्ण होती है। वही गुरुद्वारे के सेवादार भगवानदास कथूरिया ने कहा कि यह उत्सव हर साल आजादी के पहले से ही मनाया जाता है। इसके साथ ही गुरुद्वारे के सेवादार हरगोविंद मेहंदीरत्ता ने बताया कि प्रतिवर्ष स्वामी गंगाधर जी महाराज की मीठी याद में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में न केवल देश से बल्कि विदेशों से भी संगत आकर पूरी श्रद्धा और प्रेम से सेवा भी करते है और गुरुघर की खुशियां भी प्राप्त करती है। उल्लेखनीय है कि स्वामी गंगाधर जी महाराज का पूर्व नाम ज्ञानचंद था, जो आजाद भारत से पहले पुलिस में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत थे। एक दिन प्रभु भक्ति में इतने लीन हो गए कि उन्हें ड्यूटी करने का भी ध्यान नहीं रहा। ईश्वर की भक्ति करने के बाद उन्हें यह ध्यान आया कि उनकी तो थाने में ड्यूटी थी। वह थाने में पहुंचे और दरोगा जी को उन्होंने कहा कि माफी चाहता हूं, आज भगवान के पूजा पाठ में इतना लीन हो गया कि मैं ड्यूटी पर नहीं आ पाया तभी थाने के दरोगा ने हंसते हुए कहा कि ज्ञानचंद जी आप अभी तो ड्यूटी देकर गए हैं और उन्होंने हाजिरी रजिस्टर दिखया, जिस पर ज्ञानचंद जी के दस्तख़त मौजूद थे। कांस्टेबल ज्ञानचंद ने उसी दिन यह फैसला कर लिया कि अब सांसारिक नौकरी में कुछ नहीं रखा, अब प्रभु की भक्ति में ही सब कुछ समाहित है। वह समझ गए की प्रभु ने उनके स्थान पर स्वयं जाकर थाने में ड्यूटी की और बाद में उन्होंने नौकरी को छोड़ प्रभु भक्ति का मार्ग चुन लिया था। इसी मीठी याद में प्रतिवर्ष सिंधु प्रवाह दिवस बड़े ही श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
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