जल जीवन मिशन योजना के तहत 6 माह से बाट जोह रहे ग्रामीण, टंकी के निर्माण के लिए खोदा गया गहरा गड्ढा हादसों को दे रहा निमंत्रण

AYUSH ANTIMA
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*जल जीवन मिशन योजना के तहत 6 माह से बाट जोह रहे ग्रामीण, टंकी के निर्माण के लिए खोदा गया गह


अलवर (मनीष अरोड़ा): सरकारी योजनाएं कागजों तो देखने में बहुत अच्छी लगती है और मंच पर सुनने में अत्यधिक कर्ण प्रिय लगती हैं लेकिन जब धरातल पर सरकारी योजनाओं का साकार रूप नहीं दिखाई देता तो आमजन को खासी निराशा का सामना करना पड़ता है। ऐसा ही एक वाकया अलवर के स्थानीय बुर्जा क्षेत्र के मेडबास क्षेत्र में दिखाई दिया। जहां पर पिछले 6 माह से लगभग 40 फुट गहरा गड्ढा जल जीवन मिशन योजना के तहत खोद तो दिया गया लेकिन आज तक भी उसमें टंकी का निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है। आलम यह है कि गांव में घुसते ही मुख्य सड़क मार्ग के ठीक किनारे चिकनी मिट्टी के भीतर खुदा हुआ यह अत्यंत गहरा गड्ढा सीधे-सीधे मौत को दावत दे रहा है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि सरकार की योजना जल जीवन मिशन के तहत पंचायत समिति स्तर पर इस गड्ढे को विभाग के कर्मचारियों के द्वारा खोदे हुए लगभग 5 से 6 महीने हो गए हैं। इस गहरे गड्ढे को खोदने का मकसद सरकारी योजना जल जीवन मिशन के तहत पानी की टंकी के निर्माण की योजना है लेकिन अब 6 माह बीत जाने के बाद भी यहां पर कोई टंकी का निर्माण कार्य नहीं हुआ है। स्थानीय पंच ने बताया कि लगभग पिछले 6 माह से खुदा हुआ यह गड्ढा थोड़ी सी बारिश में लगभग 20 फीट तक भर गया है, शेष बचे 20 फीट में भी अगर लगातार बारिश होती है तो भर जाएगा, जो कि सीधे-सीधे मौत को दावत दे रहा है। वही एक अन्य ग्रामीण हरिराम का कहना था कि सरकारी योजनाएं कागजों में बहुत अच्छी लगती है लेकिन धरातल पर जलदाय विभाग के कर्मचारियों ने इसे बुर्जा क्षेत्र में मजाक बना रखा है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन के तहत हर नल में जल की योजना के तहत देशभर में पानी पहुंचाने की महिम जारी है लेकिन बुर्जा क्षेत्र में विभाग के द्वारा इस योजना का मखौल बनाया जा रहा है। वही जब मालाखेड़ा क्षेत्र के सहायक अभियंता हितेश कुमार से बातचीत की गई तो अधिकारी का जवाब अजीबोगरीब और सुनाने लायक था। उन्होंने बताया कि ठेकेदार के पास श्रमिकों की कमी के चलते इस कार्य को अभी नहीं किया गया है, शीघ्र ही इसको करवा दिया जाएगा लेकिन ताज्जुब की बात यह है कि सहायक अभियंता का यह जवाब गले नहीं उतरता क्योंकि जब टेन्डर छूटता है तो ठेकेदार को यह सुनिश्चित किया जाता है कि तय समय सीमा के भीतर सरकारी निर्माण को निर्मित कर सरकार को सौंप दिया जाएगा लेकिन यहां तो बानगी कुछ और ही है। इस मौत के गड्ढे को खोदे हुए लगभग 6 माह होने को है और अभी तक विभाग के न जाने की लापरवाही के तहत अभी तक पानी की टंकी का निर्माण नहीं कर पाए हैं। वहीं दूसरी ओर यह गहरा खुदा हुआ गड्ढा खुलेआम मौत को दावत दे रहा है, भविष्य में कोई बड़ा हादसा होने की आशंका है। भला उसका जिम्मेदार आखिर कौन होगा ।
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