करणी माता रोड के धंसने का रहस्य कुछ और ही निकल, मात्र 1 घंटे की तेज बारिश में धंस गई थी सड़क

AYUSH ANTIMA
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अलवर (मनीष अरोड़ा): मात्र थोड़ी सी देर की बारिश में एक छोटे से ट्रेलर ने अलवर की वैष्णो देवी कही जाने वाली करणी माता मंदिर मार्ग के बीच में रोड को धंसा दिया। खबरें प्रकाशित हुई, चैनल में चली लेकिन वास्तविकता में बानगी कुछ और ही है। अलवर से हमारे विशेष संवाददाता ने जब मौके पर जाकर देखा तो वहां नजारा कुछ और ही था। रोड आधे से ज्यादा धंस चुकी थी, जिसमें एक पतली सी परत डामरीकरण की जरूर दिखाई पड़ रही थी। दरअसल, राजशाही के समय की बनी हुई है यह सड़क उस समय के अनुसार निर्मित की गई थी। उस वक्त वाहनों का इतना भारी दबाव इस रोड पर नहीं रहता था। धंसी हुई रोड के निचले हिस्से में जब ध्यान से देखा गया तो नीचे की चिणाई में अब वह दम नहीं रहा था क्योंकि सड़क के नीचे चूने पत्थर की चिनाई हुए अनेकों बरस हो चुके हैं।
पर्यावरणविद् राजेश कृष्ण सिद्ध का कहना था कि पहली बार तो वन क्षेत्र में रोड़ होनी ही नहीं चाहिए और अगर यह राजशाही समय से बनी हुई रोड़ है तो इसको मजबूती से क्यों नहीं बनाया जा रहा है। सिद्ध ने कहा कि वर्ष में दो बार लगने वाले करणी माता मेले के दौरान इस मार्ग पर भारी दबाव रहता है। हादसे के वक्त गनीमत यह रही कि उस वक्त वहां से कोई राहगीर नहीं गुजर रहा था वरना एक बडा हादसा हो सकता था। यहां बता दे कि जिस दिन रोड धंसी, उस दिन वीकेंड था और वींकेंड़ पर पर्यटकों की आवाजाही अक्सर रहती है, जिससे जनहानि होने की संभावना थी। यहां पर ताज्जुब की बात तो यह है कि अभी कुछ महीनो पूर्व ही इस रोड को पीडब्ल्यूडी के द्वारा बनाया गया है, वहीं दूसरी ओर जब पीडब्ल्यूडी विभाग की अधिशासी अभियंता अल्का व्यास से खास बातचीत की तो उन्होंने बताया कि यह रोड़ राजशाही के समय की निर्मित है। यह सड़क उस वक्त के अनुसार बनाई गई थी, उस समय इस रोड पर इतना दबाव नहीं था। वर्तमान परिपेक्ष्य में करणी माता-बाला किला क्षेत्र अलवर के प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटक स्थल के रूप में जाना जाता है, जिसके चलते देशभर के सैलानी यहां घूमने आते हैं। इसके साथ ही वर्ष में दो बार लगने वाले मेले में भी आने-जाने वाले वाहनों का भारी दबाव रहता है। इस कारण भी यह सड़क कमजोर पड़ने लगी है। इसके अलावा दूसरा और सबसे महत्वपूर्ण कारण पानी की निकासी का सही ना होना रोड के धंसने का कारण बना है। मौके पर जाकर देखने पर यह पता चला कि पुराने समय में पहाड़ों से पानी निकासी के लिए जो मार्ग बनाए गए थे, वह भी अब कमजोर पड़ने लगे हैं। उनमें से भी मार्ग रिसकर सड़क के नीचे रमने लगा है, जिसके चलते भी यह रोड धंस गई। एक अन्य बड़ा कारण यह भी सामने आया कि रोड़ के साथ में चलती हुई दीवार सड़क को सपोर्ट देने का काम करती है, साथ में चलती यह दीवार भी अब कमजोर पड़ने लगी है। हालांकि नियमों के हिसाब से देखा जाए तो वन क्षेत्र में रोड का बनना नियम विरुद्ध है चूंकि यह राजशाही के समय से निर्मित है, इसलिए इसकी मरम्मत करने का ही प्रावधान है लेकिन जिस हिसाब से अब यह गिराऊ स्थिति में है तो अब इसके लिए एक मजबूत मास्टर प्लान बनाने की प्रशासन को आवश्यकता है। इसके साथ ही पानी की निकासी की नई व्यवस्था करके दीवार को नीचे से मजबूती से उठाया जाए। मजबूत और ठोस चिणाई केवल कागजों में न होकर धरातल पर की जाए, जिससे कि भविष्य में यह मार्ग सुरक्षित रहे वर्ना वर्तमान परिपेक्ष्य में तो आलम यह है कि यह रोड किसी भी जगह से किसी भी वक्त धंस सकता है, इसका कोई पता नहीं।
इससे बड़ी बात यह भी है कि साल में दो बार लगने वाले करणी माता मेले में श्रद्धालुओं और वाहनों का दबाव अत्यधिक रहता है, जिसके चलते भी कोई बड़ा हादसा होने की आशंका है। बहरहाल, पीडब्ल्यूडी और वन विभाग बैठकर यह प्लान तैयार करें कि नीचे से और ऊपर तक की ठोस चिणाई करके रोड को कैसे मजबूती प्रदान की जाए। वहीं वर्तमान परिस्थितियों को मद्देनजर नजर रखते हुए इसका जीर्णोद्धार किया जाए, जिससे कि भविष्य में कोई बड़ा हादसा ना हो।
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