आंख की किरकिरी बना छोटा चौकीदार.

AYUSH ANTIMA
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पद बहुत छोटा है पर यारों श्रीकांत सैदावत का काम बहुत बड़ा है। श्रीकांत जी को अब असली चौकीदार कहलाने का पूरा हक है। मेरी नज़र की बात न भी करूं तो भी समाज के अच्छे लोगों की नज़र में सैदावत का कद बहुत अब बड़ा हो गया है।
जी हां, विश्व विख्यात सरिस्का अभयारण्य और उसके इर्द गिर्द बीस हजार करोड़ रुपए की बेशकीमती जमीन की बंदरबांट को लेकर वर्षों बैचेन रहे, उस एक अदने से कार्यकर्ता श्रीकांत सैदावत की ही मैं बात कर रहा हूं, जिसने भ्रष्ट अफसरों और नेताओं के इस काले कारनामें को उजागार कर लम्बी लड़ाई लड़ी है। भले ही मेरी तरह यह योद्धा भी कई हस्तियों की आंख में चुभ रहा है। ऐसे लोग ही समाज के असली नायक होते आए हैं या यूं कहें कि आज के हीरो सही मायने में श्रीकांत ही हैं। इस जंगल की बेशकीमती ज़मीन के बड़े घोटाले के खतरनाक छत्ते में आईएएस अफसर जितेंद्र सोनी ने जब हाथ डाला था तो तत्कालीन शासकों की ज़मीन हिल गई थीं। सोनी को भ्रष्टाचार के इस बड़े छत्ते में हाथ डालने की बाकायदा बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ी थीं। एक रात में ही माफियाओं ने करोड़ों का जूता तब के शासकों के मूंह पर मारा और आईएएस सोनी को यहां से दफा करवा दिया, तब तक यह अलबेला अफसर जमीन की बंदरबांट के एक हजार से ज्यादा पट्टे तो रद्द कर चुका था।ईमानदार और बहादुर आईएएस अधिकारी जितेंद्र सोनी ने अपने छोटे से कार्यकाल में अलवर कलक्टर रहते गुंडों की तो नींद हराम की पर जनता का दिल बहुत लूटा। उसके इस तरह हुए तबादले पर माफियाओं की तो दीवाली मनी थीं पर अलवर खूब रोया था। सरिस्का अभयारण्य में जमीन के गैर कानूनी पट्टे जारी करने के पीछे मोटे सट्टे का खुला खेल खेलने वाले तीन दर्जन राजस्व कर्मचारियों की बैंड अब मौजूदा यशस्वी कलक्टर आर्तिका शुक्ला ने बजा दी है।डॉ.आर्तिका शुक्ला भी अपनी अनूठी कार्यशैली और संवेदनशीलता के चलते अलवर की जनता में बहुत लोकप्रिय हैं।सुना है कि मौजूदा सत्तारूढ़ दल के कुछ नेताओं के लिए वे बड़ा सिरदर्द भी बनी हुई हैं पर देश के बड़े नेता और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव का मिशन सिर्फ विकास और सेवा ही है तो फिर उनके गृह संसदीय क्षेत्र अलवर में किस नेता की शामत आई है, जो खुले रूप से मौजूदा कलक्टर की अच्छी कार्यशेली को चुनौती दे सके या एफ एंड बट कर सके ? सच बात तो यह है कि पुराने और मौजूदा सत्ता नायकों का अपवित्र गठबन्धन भी अब भूपेन्द्र यादव के डर से सहमा हुआ है। समझने वाले ही समझते हैं कि यादव की मीठी मुस्कान बहुत कुछ कह जाती है। वे अच्छे और बड़े पत्रकार भी रहें हैं, इसलिए सब की खबर सब पर नज़र रखने का उनका मूल स्वभाव कुटिल लोग कैसे बदल सकते हैं ?
मित्रों, सरिस्का में हजारों बीघा ज़मीन की बंदरबांट को उजागर कर उसके पीछे पड़ने वाले श्रीकांत सैदावत अपवित्र गठबन्धन वालों की आंख में भी चुभ रहे हैं। हालांकि केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव उनके मान सम्मान को बढ़ाने के लिए उनके रैणी राजगढ में घर तक पहुंचे हैं। वार्ड 27 से जिला परिषद में सदस्य चुनकर पहुंचे सैदावत से यहां दोगले और भ्रष्ट लोग चौकन्ने और खबरदार हैं, क्यूंकि कब किसकी पोटली खुल जाए, यह डर चोरों को सताता ही है। इस कारण सैदावत पर माफिया पैनी नजर तो रख रहें हैं पर बचो भाई की गाड़ी में बैठे हैं। दोस्तों, छोटे से इस चौकीदार का नाम भ्रष्टों की हिट लिस्ट में है। हर मौके पर सैदावत को हतोत्साहित करने या उनका अपमान करने की कोशिश दलालनुमा नेता और चवन्नी छाप लंपट करते हैं पर सच्चाई और ईमानदारी की लड़ाई लड़ने वाले लोगों को परेशान किया जा सकता है पराजित नहीं। राम राम करने से पहले मित्रों आज इतना ही कि सरिस्का अभयारण्य में जमीनों की बंदरबांट का खेल पट्टा निरस्त करने और दोषी कर्मचारियों को रडार पर लेकर नोटिस जारी करने तक ही सीमित नहीं है। मुझे उम्मीद है कि इस भ्रष्टाचार के मोटे प्याज की परतें खुलेंगी।देश की ईडी, सीबीआई की अलवर में इस कबाड़े पर लोगों का जबाड़ा पकड़ने के लिए दस्तक होगी। उसके योग्य अफसरों की कार्यकुशलता का प्रदर्शन इस बड़े घोटाले की जांच के बाद सबके सामने होगा।अनेक बड़े बड़े जिम्मेदार वन अधिकारी, इसमें लिप्त नेता, अफसर लोग बड़े घर की यात्रा पर ज़रूर भेजे जाएंगे। इस खेल में मोटा पैसा इकट्ठा करने वाले छोटे छोटे राजस्व कर्मी, पटवारी, सटवारी भी जब अपने बड़े पिटारे के साथ खुलेंगे तो बड़े बड़े कारनामें भी छोटे पड़ते और शर्म के मारे बौने होते नज़र आएंगे।
यारों, आज और अभी तो केवल तूफ़ान से पहले की शांति है।

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