घट घट दादू कह समझावै, जैसा करे सो तैसा पावै। को काहू का सीरी नाहीं, साहिब देखे सब घट माहि। संतशिरोमणि श्रीदादू दयालजी महाराज ने बतलाया है कि मनुष्य जैसा कर्म करता है, वैसा ही फल उसको भोगना पड़ता है। जिन पुरुषो ने जो कर्म किये है, उनका फल भी वे ही भोगेंगे दूसरे नही। परमात्मा तो साक्षी मात्र है वह न कर्म करता और न फल भोगता है। महाभारत में इस लोक में किये हुये कर्मो का फल भोगे बिना विनाश नही होता। वे कर्म की कर्मानुसार एक के बाद एक शरीर को धारण करवाकर फल देते रहते है। लिखा है जैसे हज़ारो गायों के बीच में बछड़ा अपनी माँ को खोज लेता है, उसी प्रकार पूर्वजन्मों में किये हुए कर्म भी जन्मों जन्मों तक भोगने पड़ते है ।
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