किसानों के लिए वरदान साबित होगी ढैंचा की खेती, महिला किसानों को फ्री में मिलेगा बीज

AYUSH ANTIMA
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निवाई (लालचंद सैनी): अधिक उपज के लिए कृषि विभाग ने किसानों को ढेचा फसल की खेती करने की सलाह दी है। इसके लिए विभाग किसानों को इस वर्ष मुफ्त में ढैचा बीज का वितरण करेगा। वरिष्ठ कृषि पर्यवेक्षक प्रधान गुर्जर ने बताया कि भूमि को उपजाऊ बनाने हेतु किसानों को ढैचा बीज मिनिकिट नि:शुल्क वितरण किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि किसान लगातार धुआंधार रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशक दवाओं तथा खरपतवार नाशक दवाओं को प्रयोग कर रहा है, जिसकी वजह से भूमि की उपजाऊ क्षमता कम हो होती जा रही है और उपजाऊ क्षमता कम होने के साथ भूमि क्षारीय होती जा रही है। जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान तो हो ही रहा है, साथ ही शरीर में विभिन्न प्रकार की बीमारियों ने भी जन्म ले लिया है। भूमि को उपजाऊ बनाने हेतु किसानों को ढैचा बीज मिनिकिट नि:शुल्क वितरण किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि ढैचा एक दलहनी फसल है। जो भूमि की उर्वरता क्षमता को बढ़ाता है तथा खेत में यूरिया की जरूरत को कम करता है। ढैचा फसल को 40-45 दिन की अवस्था पर फूल आते समय खेत में जुताई करके मिट्टी में दबा देना चाहिए। जिससे हरी खाद बन जाती है। हरी खाद में काफी मात्रा में कार्बनिक पदार्थ पाया जाता है। इससे फसलों का उत्पादन बेहतर होता है। भूमि की उर्वरता क्षमता लम्बे समय तक बनी रहती है। गुर्जर ने बताया कि बीज वितरण का कार्य राजस्थान किसान पोर्टल के माध्यम से जनाधार द्वारा किसान से ओटीपी लेकर ऑनलाइन ही वितरण किया जाएगा। इसके लिए महिला किसान के पास कम से कम 2 बीघा भूमि होनी जरूरी है। कृषक के स्वयं के नाम से भू-स्वामित्व नहीं होने की स्थिति में कृषक के पिता के जीवित होने या मृत्यू पश्चात् नामान्तरण के अभाव में आवेदक कृषक द्वारा स्वयं के पक्ष में भू-स्वामित्व में नोशनल शेयर धारक का प्रमाण पत्र राजस्व हल्का पटवारी से प्राप्त कर आवेदन के साथ प्रस्तुत किया जाता है तो ऐसे कृषक भी मिनिकिट लेने हेतु पात्र माने जाएंगे तथा एक जनाधार कार्ड पर एक ही किसान को लाभ दिया जाएगा।

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