अलवर (ब्यूरो): रणथम्भोर के गणेश मंदिर मार्ग पर लगातार दो हादसों को देखकर भी शायद अलवर का वन विभाग अभी जागा नहीं है। अगर जागा होता तो आबादी क्षेत्र के आसपास घूमते टाइगर और लेपर्ड अब तक आमजन को उनके घरों के सामने दिखाई नहीं पड़ते। जी हां वाकया है, जयपुर रोड स्थित भाखेड़ा क्षेत्र का, जहां पहाड़ की तलहटी में बनी तोलानी कॉलोनी में आए दिन बाघ और लेपर्ड का मूवमेंट जारी है। जयपुर रोड स्थित भाखेड़ा क्षेत्र की तोलानी कॉलोनी निवासी प्रेम कुमारी राठौड़ ने बताया कि पिछले लगभग डेढ़ वर्ष से प्रशासन से मोहल्लेवासी गुहार लगा रहे हैं कि इस क्षेत्र में लेपर्ड और टाइगर का मूवमेंट बदस्तूर जारी है लेकिन अभी तक प्रशासन के द्वारा कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाई गयी है। उन्होंने बताया कि पिछले साल इस क्षेत्र में लेपर्ड एक व्यक्ति के घर के बाहर दिखाई पड़ा था और अब यहां के स्थानीय निवासियों को टाइगर दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि बीती रात भी उनके पड़ोसी रात के समय अपना पालतू कुत्ता घुमा रहे थे तो उन्हें टाइगर दिखाई पड़ा। स्थानीय निवासियों की मांग है कि या तो वन विभाग उनकी सीमा में तारबंदी कर दे या फिर पिंजरे से पकड़कर टाईगर को कहीं दूर छोड़ दे, जिससे कि वह आबादी क्षेत्र में ना आए। स्थानीय नागरिकों ने बताया कि रात के समय आए दिन टाइगर का एक जोड़ा पहाड़ी पर दिखाई पड़ता है। कभी-कभी वह नीचे आबादी क्षेत्र में भी उतर आता है। स्थानीय नागरिक टाइगर के इस मूवमेंट से भयभीत नजर आए। उनका कहना था कि वन विभाग को यह पता है उसके बावजूद अभी तक कोई कार्यावाही वन विभाग के द्वारा अमल में नहीं लाई गई है। इसके साथ ही लेपर्ड और टाइगर का मूवमेंट बाला किला क्षेत्र में भी लगातार जारी है, वहां भी अभी वन विभाग की तरफ से कोई खास कार्यवाही को अंजाम नहीं दिया गया है। कहने का तात्पर्य इतना है कि रणथंभोर के उस मासूम को खींचकर ले जाने का वाकया और रेंजर को मौत के घाट उतारने की घटना को देखते हुए अलवर में भी वन विभाग को सचेत हो जाना चाहिए ताकि भविष्य में कोई दुर्घटना ना हो जाए। गौरतलब है कि हाल ही में रणथंभोर में दुःखद हादसों में दो जान चली गई, इसको देखते हुए अलवर में दो से तीन जगह ऐसी हैं, जहां लेपर्ड्स और टाइगर्स का मूवमेंट आमजन को दिखाई पड़ रहा है और आबादी क्षेत्र के नजदीक है। देखना होगा कि भविष्य में कितनी जल्दी वन विभाग जागता है क्योंकि अगर नहीं जागता तो भविष्य में कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है।
रणथम्भोर की तरह क्या अलवर में भी वन विभाग कर रहा है किसी हादसे का इंतजार
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May 15, 2025
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*रणथम्भोर की तरह क्या अलवर में भी वन
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