जयपुर (श्रीराम इंदौरिया): राजस्थान विश्वविद्यालय में 1969 से वाणिज्य संकाय के अंतर्गत तीन विभाग ABST, EAFM एवं BADM बने हुए हैं। जिनमें ABST में 180 सीट, EAFM में 120 सीट व BADM में 120 सीटो पर स्नातकोत्तर M.Com. में प्रवेश दिया जाता हैं, साथ ही शोधार्थी अपनी Ph.D. भी अलग-अलग विभागों से करते हैं। वाणिज्य विषय की बेहतर शिक्षा दी जा सके, इस उद्देश्य से सबसे पहले राजस्थान विश्वविद्यालय में वाणिज्य संकाय को वर्ष 1969 में तीन विभागों ABST, EAFM व BADM में बांटा गया था। इसके पश्चात राजस्थान राज्य के सभी विश्वविद्यालयों ने इसी मॉडल को अपनाया। विगत 56 वर्षों से RPSC के माध्यम से राजस्थान के सभी सरकारी कॉलेजों में एवं राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में सहायक आचार्य की भर्ती प्रक्रिया वाणिज्य के तीनों विभागों ABST, EAFM व BADM में अलग-अलग करवाई जाती रही हैं। EAFM विभाग के पूर्व छात्र डॉ.बुद्धि प्रकाश बैरवा ने बताया कि राजस्थान राज्य में वाणिज्य संकाय तीन विभागों में विभाजित होने के कारण स्नातक स्तर (B.Com.) के छात्र-छात्राओं को वाणिज्य के तीनों विषयों में समान रूप से शिक्षा ग्रहण करने को मिलती है एवं स्नातकोत्तर स्तर (M.Com.) पर छात्र-छात्राएं अपनी रुचि के विषय ABST, EAFM व BADM में से किसी भी एक विषय में M.Com. की शिक्षा प्राप्त कर विशिष्टता/दक्षता हासिल करते हैं। इसी कारण राजस्थान राज्य से सबसे अधिक छात्र CA, CS एवं CMA की परीक्षाओं में सफलता हासिल करते हैं। हाल ही में राजस्थान विश्वविद्यालय द्वारा 8 मई 2025 को जारी आदेश के द्वारा वाणिज्य संकाय के तीनों विभागों ABST, EAFM, BADM को बंद करने का लिया गया निर्णय अदूरदर्शिता पूर्ण हैं एवं राजस्थान राज्य के वाणिज्य संकाय के तीनों विभागों के लाखों स्नातकोत्तर छात्रों, हजारों शोधार्थियों एवं शिक्षकों के हितों पर कुठाराघात है। यहां यह बताना भी उपयुक्त होगा कि इस निर्णय से वाणिज्य संकाय के तीनों विभागों ABST, EAFM, BADM से अभी तक स्नातकोत्तर व Ph.D. की डिग्री प्राप्त कर चुके लाखों छात्रों के भविष्य पर सवालिया निशान खड़ा हो जाएगा एवं वे हमेशा के लिए बेरोजगार हो जाएंगे।
राजस्थान विश्वविद्यालय द्वारा वाणिज्य संकाय के तीनों विभागों ABST, EAFM, BADM को बंद करने का निर्णय लिया जाना राजस्थान राज्य के सभी सरकारी एवं गैर सरकारी कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों के वाणिज्य संकाय के लाखों छात्रों, शोधार्थियों एवं शिक्षकों के भविष्य को प्रभावित करने वाला दूरगामी निर्णय होने के कारण इस विषय में राज्य सरकार एवं आपकी सलाह के बिना निर्णय लिया जाना अव्यावहारिक एवं दुर्भाग्यपूर्ण है। डॉ.बैरवा ने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री व राज्यपाल को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि इस फैसले को बदला जाए अन्यथा छात्र इस पर आंदोलन खड़ा करेंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी व विश्वविद्यालय में होने जा रहे दीक्षांत समारोह का विरोध करने की चेतावनी दी।