गौवंश सेवा के नाम पर कमा रहे पाप

AYUSH ANTIMA
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गौवंश की आड़ में गौशाला संचालन को लेकर चुरु जिले मे एक फर्जीवाड़ा सामने आया है। सूत्रों के अनुसार एक गौशाला में गौसेवा के नाम पर गौवंश की सेवा को मिली अनुदान सहायता को अपने निजी खाते में स्थानांतरण कर करोड़ों रुपये के गबन की रिपोर्ट गौशाला के अध्यक्ष व कोषाध्यक्ष पर पुलिस थाने में करवाई गई है। गौशाला में ज्यादा गौवंश अपने रिकार्ड में दर्ज कर सरकार से अनुदान उठाते रहे व उस धन को अपने निजी खातो में स्थानांतरण करवा लिया। गौशालाओं के संचालन को लेकर आयुष अंतिमा (हिन्दी समाचार पत्र) ने झुन्झुनू जिले की गौशालाओं मे गौवंश के नाम पर हो रहे घालमेल का जनता की अदालत मे रखने का काम करता रहा है। जिले में अनगिनत गौशालाएं है, जिनमें बनी कमेटी प्राईवेट लिमिटेड कंपनी की तरह काम करती है। गौशाला संचालन में बनी कार्यकारिणी का गठन बंद कमरे में कर लिया जाता है, जैसे यह कार्यकारिणी एक ही परिवार की संपति हो। गौशाला संचालन में बनी कार्यकारिणी में वंशानुगत परम्परा देखने को मिलती है। किसी भी गौशाला के संचालन समिति को यह गौरवान्वित होने वाला क्षण नहीं है कि गौशाला के पास करोड़ो रूपये की एफडी बैंक में है। उनके लिए इस बात पर गौरवान्वित होना चाहिए कि उनके द्वारा संचालित गौशाला ने साल में कितने बेसहारा गौवंश को गौशाला में आशियाना दिया है। संचालकों को केवल बैंक की एफडी ही दिखाई देती है, सड़कों पर लठ्ठ खाता गौवंश नही दिखाई देता है। सरकारी अनुदान के साथ शेखावाटी के उदारमना भामाशाह दिल खोलकर गौवंश की सेवा के लिए गौशालाओ को आर्थिक अनुदान देते हैं लेकिन उनकी सहायता का कितना सदुपयोग गौवंश की सेवा में हो रहा है, यह एक ज्वलंत प्रश्न है। अपने निजी हित को ध्यान में रखते हुए यह संचालक गौवंश में भेद करते हैं व इनको केवल दुधारू गौवंश ही अपनी गौशाला के लिए चाहिए, जिससे उनके चहेतों के घरों में दूध की निर्बाध आपूर्ति होती रहे। जो गौशालाएं गौवंश में भेद करने के साथ ही दुधारू गौवंश की शर्त लगाती है, निश्चित रूप से वह गौशालायें डेयरी का संचालन कर रही है। 
इस लेख के माध्यम से भजन लाल शर्मा सरकार का आह्वान है कि जिस तरह चुरु जिले की गौशाला में गोवंश के नाम पर गड़बड़झाला देखने को मिला, इससे झुन्झुनू जिला भी अछूता नहीं है। सूत्रों की मानें तो जयपुर जिला कलेक्टर ने अपने आदेश में बेसहारा गौवंश को गौशालाओं में पहुंचाने के लिए स्थानीय प्रशासन को पाबंद किया है, वैसे ही आदेश पूरे राजस्थान में भजन लाल शर्मा सरकार को गौवंश की सेवार्थ पारित करने की जरूरत है। जो गौशालाएं गौवंश में भेद करती है, उनके बारे में सरकारी अनुदान को लेकर गंभीरता से सोचने की जरूरत है। इसके साथ ही चुरू जिले के प्रकरण को लेकर यही कहा जा सकता है कि गौवंश की आड़ में निजी स्वार्थों की पूर्ति हो रही है ।

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