झुंझुनू की एक प्रतिष्ठित स्कूल बनी कैदखाना व दारु का अड्डा

AYUSH ANTIMA
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सरस्वती के मंदिरों को शर्मशार करने वाली एक घटना झुंझुनूं से निकल कर आ रही है। सूत्रों की मानें तो झुंझुनू की इस स्कूल में अपने बेटे करण को प्रताड़ित करने को लेकर आगरा निवासी मनीषा ने झुंझुनू कोतवाली में एफआईआर दर्ज करवाई है। एफआईआर के अनुसार उसका बेटा करण पिछले छः सालों से इसी स्कूल में पढ़ रहा है और इस साल बोर्ड की 12वी कक्षा में अध्ययनरत हैं, जहां से उच्च शिक्षा में जाने का मार्ग प्रशस्त होता है। उन्होंने आरोप लगाया है कि करण को पिछले कई महीनों से प्रताड़ित किया जा रहा है। हास्टल में लड़के भांग व शराब का सेवन करते हैं, जब मेरा बेटा शराब नहीं पीता है तो उसको प्रताड़ित किया जाता है। इसकी शिकायत जब वार्डन से की गई तो मेरे बेटे को ही डरा धमकाकर व डांटकर भेज दिया, जिससे वह डिप्रेशन में आ गया। इसको लेकर स्कूल प्रशासन से टीसी लेने के लिए कहा गया तो टीसी के लिए तो मना कर ही दिया बल्कि उसका सामान भी हास्टल के कमरे से नहीं लेने दिया। करण की मां मनीषा ने तो यहां तक आरोप लगाया कि उसका बेटा आत्महत्या की स्थिति में आ गया। अब यदि उपरोक्त बातों का पोस्टमार्टम करें तो शिक्षा माफिया के मकड़जाल में फंस कर आये दिन कोटा से बच्चों के आत्महत्या के समाचार सुनने को मिलते हैं। शिक्षा को एक उद्योग का दर्जा दे दिया गया है। इन स्कूलों के चलाने वाले अपने राजनीतिक रिश्तों का फायदा उठाकर शिक्षा के मंदिरों को शर्मसार कर रहे हैं। जब कोई बच्चा जेईई या आईआईटी में चयनित हो जाता है तो हर स्कूल उसको महिमा मंडित करती है कि अमुक बच्चे ने हमारी स्कूल से शिक्षा ग्रहण करके इस मुकाम तक पहुंचा है। शिक्षा का व्यवसायीकरण कर शिक्षा को इतना महंगा कर दिया कि शिक्षा  आम आदमी की पकड़ से दूर हो गई। इन प्राईवेट स्कूलों में कापी, किताब, ड्रेस, जुराब, जूते आदि स्कूल से ही लेनी होती है और जब शिक्षा के स्तर की बात आती है तो ट्यूशन के लिए बोल देते हैं। इस शिक्षा माफिया के चंगुल में एक बार अभिभावक फंस जाता है तो उसका निकलना दूभर हो जाता है। अभी हाल ही में जिले की दो यूनीवर्सिटी जो पीएचडी की डिग्री बांट रही थी, उनको विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने तुरंत प्रभाव से पीएचडी की डिग्री न देने के लिए आदेश पारित किए हैं। करण जो झुंझुनूं की इस प्रतिष्ठित स्कूल का छात्र है, उसकी मां ने जो कैमरे के सामने भी आरोप लगाए हैं। यदि सही है तो इस स्कूल को कैदखाने व दारू खाने की संज्ञा दी जा सकती है।

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