सुप्रीम कोर्ट का दोहरा मापदंड*

AYUSH ANTIMA
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पश्चिमी बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के संरक्षण में  हिन्दुओं पर जमकर अत्याचार हो रहे हैं। नये वक्फ बोर्ड संशोधन कानून की आड़ मे हुई हिंसा के कारण मुर्शीदाबाद और चौबीस परगना से हिन्दू परिवारों का पलायन हो रहा है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केवल मुसलमानो की मुख्यमंत्री बनकर रह गई है। हिन्दू परिवार वहां से पलायन कर रहे हैं और रोहिंग्याओ को बंगाल में बसाया जा रहा है। ममता बनर्जी रोहिंग्याओ को लेकर तो चिंतित हैं लेकिन उनको शरणार्थी शिविरों में हिन्दू परिवार नहीं दिखाई दे रहे हैं। बंगाल में हालात इतने खराब हो चुके हैं कि मुस्लिम बहुल इलाकों में हिन्दुओं को वोट डालने का अधिकार नहीं है। इस भयावह स्थिति को लेकर एडवोकेट विष्णु कांत जैन ने एक जनहित याचिका दायर कर माननीय कोर्ट से आग्रह किया कि ताजा हालातों को लेकर बंगाल के राज्यपाल से रिपोर्ट मंगवाई जाने के साथ ही दंगाग्रस्त इलाकों में अर्धसैनिक बलों की तैनाती की जाए लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को लेकर जो टिप्पणी की है, वह काफी चौकाने वाली है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में हम दखलंदाजी नहीं कर सकते क्योंकि सुप्रीम कोर्ट पर पहले ही कार्यपालिका में दखल के आरोप लग चुके हैं। यह सर्वविदित है कि वक्फ बोर्ड संसोधन कानून को लेकर उस कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बहस की थी, जिस कानून को देश की दोनो सदनो में पारित होने के बाद राष्ट्रपति की मोहर लग चुकी थी। इसको लेकर भारत के उपराष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर तल्ख टिप्पणी की थी। उपराष्ट्रपति ने कहा था कि कार्यपालिका कानूनो को लागू करने को लेकर जिम्मेदार है जबकि न्याय पालिका कानूनों की व्याख्या करती है कि नितियां संविधान व कानून के अनुसार है। उपराष्ट्रपति के इस बयान पर काफी सियासी बवाल हुआ था।‌बंगाल में हो रहे अत्याचार को लेकर सुप्रीम कोर्ट कार्यपालिका में दखल नहीं दे सकता और वक्फ बोर्ड संशोधन कानून को लेकर कार्यपालिका पर अंगुली उठाना सुप्रीम कोर्ट का दोहरा चरित्र उजागर होता है। सुप्रीम कोर्ट को वक्फ से जुड़े मामलों में मुसलमानो की तो चिंता है बल्कि बंगाल मे हो रहे हिन्दूओं पर अत्याचार व हिन्दुओं का नरसंहार नहीं दिखलाई देता है।
यह एक ज्वलंत प्रश्न है कि आखिर वक्फ बोर्ड संशोधन कानून व बंगाल हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट दोहरा मापदंड क्यों अपना रहा है समझ से परे है। देखा जाए तो न्याय पालिका को लेकर उस पर देश के आवाम का विश्वास था लेकिन इस दोहरे मापदंड के चलते उस विश्वास रुपी दर्पण पर दोहरे मापदंड रूपी धूल जम चुकी है।

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