कश्मीरी आतंकी हमले पर अलवर के विभिन्न संगठनों ने किया विरोध प्रदर्शन

AYUSH ANTIMA
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अलवर (मनीष अरोड़ा): पहलगाम में सैलानियों की निर्मम हत्या के चलते पूरे देश में जहां एक ओर शोक की लहर दौड़ गई, वहीं दूसरी और प्रत्येक भारतीय के मन में एक आक्रोश है। भारत में इस प्रकार की घटना का होना निश्चय ही चिंताजनक  है। पहलगाम में 27 लोगों की नृशंस हत्या के विरोध में अलवर में भी प्रदर्शन का दौर जारी रहा। जिले के विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने कंपनी बाग स्थित शहीद स्मारक पर पहुंचकर पहलगाम में आतंकियों का निशाना बने 27 सैलानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। संयुक्त व्यापार महासंघ के बैनर तले  शहीद स्मारक पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए, साथ ही इस घटना पर आक्रोश जताया गया।पूर्व विधायक बनवारी लाल सिंघल का कहना था कि इस तरह की नृशंस हत्याओं को अंजाम देने वालों को मृत्युदंड से कम सजा नहीं होनी चाहिए, साथ ही आतंकवादियों के हौसले खत्म करने के लिए सरकार पुरजोर कदम उठाएगी। वही  हिंदूवादी नेता राजकुमार गोयल ने कहा कि पाकिस्तान के नापाक इरादों को निश्चय ही भारत सरकार जल्दी नाकाम करेगी और ऐसे नृशंस हथियारों को सजा-ए-मौत से कम सजा नहीं मिलनी चाहिए। वही संयुक्त व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष हरमीत मेहन्दीरत्ता का कहना था कि इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि जब सैलानियों पर हमला हुआ हो, इसके साथ ही यह पूछना निश्चय ही निंदनीय है कि तुम हिंदू हो या मुसलमान उसके बाद हिंदू होने पर जान से मार दिया जाए। वक्ताओं ने पहलगाम मे हुई निर्मम हत्याओं की पुरजोर निंदा की, साथ ही सरकार से कड़े कदम उठाने की मांग की। भाजपा के जिला अध्यक्ष दक्षिण अशोक गुप्ता का कहना था कि पहलगाम में निर्मम तरीक़े से सैलानियों को जान से मारना निश्चय ही निंदनीय है और इसके लिए पूरे देश में शोक की लहर है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ऐसे क्रूर हत्यारों को जरूर सबक सिखाएगी। वहीं दूसरी ओर बाबा बर्फानी सेवा समिति के तत्वावधान में भी मन्नी के बड़ से शहीद स्मारक तक एक कैंडल मार्च निकाला गया। इसके अलावा जिला कांग्रेस कमेटी के तत्वाधान में नंगली चौराहे से शहीद स्मारक तक पैदल मार्च कर शहीद स्मारक पर मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। उल्लेखनीय है कि इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि जब कश्मीर में पहुंचे पर्यटकों को आतंकवादियों ने निशाना बनाया है। इससे पूर्व जब भी कभी इस प्रकार की घटनाएं हुई तो वहां स्थानीय लोगों के बीच में आतंकवादी वहां आतंकवादी और मिलिट्री के बीच में ही हमले हुआ करते थे लेकिन यह वर्तमान में पहली बार है कि जब निर्दोष सैलानियों को केवल पर्यटन की दृष्टि से जाने की इतनी कठोर सजा मिली है। गौरतलब है कि भारत में यह पूछा जाना कि तुम हिंदू हो या मुसलमान और कलमा पढ़ो आतंकवादियों की  यह हिमाकत कैसे हुई, यह सवाल पूरे देश में आमजन के मन में उठ रहा है। बहरहाल, अब भारत सरकार को पाकिस्तान के खिलाफ कड़े से कड़े कदम उठाकर आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब देने का समय आ गया है। जिले के विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने आक्रोश प्रदर्शन कर भारत सरकार से यह मांग की कि इस प्रकरण में कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए, जिससे कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं  न दोहराई जाए ।
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