राजस्थान शिक्षक, वर्षों से डीपीसी नहीं, हजारों पद खाली

AYUSH ANTIMA
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राजस्थान शिक्षा विभाग में स्थानांतरण खोलने से पहले विभागीय पदोन्नति करने और खाली पड़े पदों को पदोन्नति से भरे जाने को प्राथमिकता दिए जाने की आवश्यकता है। विभागीय पदोन्नति वर्षों से नहीं हुई। शिक्षक 10-15 सालों से विभागीय पदोन्नति समितियां गठित किए जाने और उनकी बैठकें किए जाने का इंतजार कर रहे हैं। उच्च श्रेणी के लिए योग्य शिक्षक वर्षों से योग्यता पर पहुंचने के इंतजार में हैं। माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में वर्षों से विषय अध्यापकों के पद रिक्त हैं और अन्य अध्यापकों से काम चलाया जा रहा है। यह काम चलाना विद्यार्थियों की सही उन्नति के लिए बाधक है। इस गंभीरता को नहीं समझना विद्यार्थियों के अलावा प्रदेश के विकास में भी 
घातक है। इससे अन्य प्रदेशों के मुकाबले राजस्थान पिछड़ रहा है। राज्य की उन्नति के लिए शिक्षा की गुणवत्ता आवश्यक है और इसमें राजस्थान में प्रशासनिक निर्णय सही समय पर नहीं होने के कारण बुरा हाल है। राजस्थान में विद्यार्थियों और शिक्षकों की संख्या के अनुपात में विद्यालयों में पीने के पानी का और टायलेट्स का भी समुचित प्रबंध नहीं है। इनके लिए सरकार की कोई नीति नहीं है, बजट कम रहता है। भामाशाह खोजें और उनसे बनवाएं। यदि भामाशाह नहीं हों और नहीं मिले तो ये कमी कायम ही रहेगी। विचारिए कि अध्यापिकाएं, महिला कर्मचारी और छात्राओं को कितनी परेशानी होती होगी।
राजस्थान के अनेक विद्यालयों में भवन भी जीर्णशीर्ण हालत में हैं और बुरी हालत छतों के नीचे पढने और काम करने वालों के लिए हर समय सिर पर मौत का खतरा रहता है।

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