किसी भी सरकार की जन कल्याणकारी योजना के तहत जनहित को ध्यान में रखते हुए कार्य की घोषणा को तोहफे की संज्ञा दी जा सकती है, जिसको सुनकर विपक्ष भी कहे वाह क्या बात है। बजट पर जबाब देते हुए मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने शेखावाटी के लिए चिर परिचित परियोजना यमुना जल योजना को लेकर जो घोषणा की, उससे शेखावाटी के लोगों के लिए खासकर पिलानी विधानसभा के आवाम के लिए आगामी वर्षों में पीने के पानी की समस्या से निजात मिलने का रास्ता साफ हो गया। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने विधानसभा में कहा कि होली रंगों का व भाईचारे का त्योहार है। इस त्योहार पर शेखावाटी के आवाम को यह कहना चाहता हूं कि 5 मार्च को हरियाणा सरकार ने एक टास्क फोर्स का गठन किया है, जो इस परियोजना की डीपीआर तैयार करेगी। उन्होंने इससे संबंधित कागजात भी सदन के सदस्यों को दिखाए।
यदि यह चिर परिचित परियोजना यथार्थ के धरातल पर मूर्तरूप लेती है तो निश्चित रूप से मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा शेखावाटी के लिए भागीरथ बन कर आये है। हर सरकार की यह नैतिक जिम्मेदारी होती है कि मूलभूत आवश्यकताओं जैसे पीने का पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य व बेहतर सड़कों का प्रबंध करने के लिए संवेदनशीलता का परिचय दे। उसी संवेदनशीलता का परिचय भजन लाल शर्मा सरकार ने दिया है और जल जो किसी व्यक्ति के जीने का आधार है, उसका प्रबंध करने में एक सीढ़ी को पार किया है। विदित हो यमुना जल लोकसभा व झुंझुनूं विधानसभा के उपचुनाव में मुख्य मुद्दा था व इसको लेकर भजन लाल शर्मा ने अपनी चुनावी सभाओं में घोषणा भी की थी कि शेखावाटी को यमुना जल का पानी उपलब्ध करवाना उनकी सरकार की पहली प्राथमिकता रहेगी। इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भी इच्छा शक्ति थी कि आजादी के बाद यदि पीने का पानी भी सरकार उपलब्ध न करवा सके तो यह बहुत ही दुखदाई है। डबल इंजन सरकार का गठन होते ही हरियाणा व राजस्थान की सरकारों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए व डीपीआर बनने की घोषणा ने इसका रास्ता प्रशस्त कर दिया।
विदित हो इस मुद्दे का कांग्रेस ने बहुत दोहन किया था। जिले के एक कद्दावर कांग्रेसी नेता जो सदैव केन्द्र में मंत्री रहने के बावजूद अपने राजनीतिक जीवन के अंतिम दिनों तक इस मुद्दे को लेकर शेखावाटी के लोगों को भ्रमित करते रहे। सूत्रो की मानें तो डीपीआर कांग्रेस शासन में भी बनी थी लेकिन यमुना जल कागजो से बाहर नहीं निकल सका था। अतः भजन लाल शर्मा अतीत के दुखदाई संस्मरणों को ध्यान में रखते हुए डीपीआर बनने के बाद इस महत्वाकांक्षी परियोजना को लेकर बजट का निर्धारण कर काम शुरू करें क्योंकि भूखे की भूख तो खाना मिलने के बाद ही दूर होती है। आयुष अंतिमा (हिन्दी समाचार पत्र) ने सटीक व पत्रकारिता के मूल्यों को जीवंत रखते हुए सरकार व जनता की अदालत में इस मुद्दे को रखने का काम कर अपने दायित्व का निर्वहन बसूखी से किया है। यदि यह परियोजना आगामी वर्षों में धरातल पर उतरती है तो निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि डबल इंजन सरकार ने शेखावाटी के लिए सौगातों का पिटारा खोल दिया है ।