सूचना केंद्र भवन अधिग्रहण के खिलाफ पत्रकारों का 'हल्ला बोल: आंदोलन की चेतावनी

AYUSH ANTIMA
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झुंझुनूं (राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला): सूचना केंद्र परिसर में स्थित भवन को एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) न्यायालय के लिए आवंटित करने के फैसले के खिलाफ जिले के पत्रकारों ने तीखा विरोध जताया है। शनिवार को जिला मुख्यालय पर पत्रकारों की आपात बैठक में इस मुद्दे पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया गया। बैठक में पत्रकारों ने एकजुट होकर हर स्तर पर इस फैसले का विरोध करने और सूचना केंद्र के पुस्तकालय, वाचनालय और प्रेस वार्ता कक्ष को बचाने का संकल्प लिया।
पत्रकारों ने बताया कि प्रभारी मंत्री अविनाश गहलोत और तत्कालीन कलेक्टर रामावतार मीणा ने आश्वासन दिया था कि सूचना केंद्र का भवन एसीबी न्यायालय को नहीं दिया जाएगा और इसके लिए वैकल्पिक भवन की व्यवस्था की जाएगी। हालांकि, कलेक्टर मीणा के तबादले के बाद नए कलेक्टर डॉ.अरूण गर्ग के कार्यकाल में कुछ अधिकारियों द्वारा भ्रमित कर फिर से सूचना केंद्र के भवन को टारगेट किया गया। पत्रकारों ने विशेष रूप से अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम) डॉ.अजय कुमार आर्य पर आरोप लगाया कि वे जानबूझकर सूचना केंद्र को निशाना बना रहे हैं।

*प्रभारी मंत्री के आश्वासन के बाद भी प्रशासन की उदासीनता* 

पत्रकारों ने चर्चा में बताया कि प्रभारी मंत्री गहलोत ने हाल ही में सूचना केंद्र का दौरा कर भवन को वातानुकूलित और सुविधायुक्त बनाने का वादा किया था लेकिन उनके आश्वासन के कुछ घंटों बाद ही प्रशासन ने भवन के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी, जिसे पत्रकारों ने 'जिला सरकार' की नीति में बदलाव और विश्वासघात करार दिया। 

*मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से मुलाकात का निर्णय* 

बैठक में पत्रकारों ने फैसला लिया कि वे जल्द ही जयपुर जाकर मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा, मुख्य सचिव सुधांश पंत और मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार से मुलाकात करेंगे। साथ ही, जिले के भाजपा और कांग्रेस नेताओं से भी इस मुद्दे पर समर्थन मांगा जाएगा। पत्रकारों ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग उठाने का निर्णय लिया।

*प्रेस नोट बहिष्कार और 'पोल खोलो' अभियान की चेतावनी*  

पत्रकारों ने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने दो-तीन दिनों में सकारात्मक कदम नहीं उठाए तो वे पीआरओ कार्यालय के व्हाट्सएप ग्रुप से हटकर विरोध दर्ज करेंगे। इसके बाद सरकारी कार्यक्रमों के प्रेस नोटों का बहिष्कार और प्रशासन की योजनाओं का 'पोस्टमार्टम' कर 'पोल खोलो' अभियान शुरू किया जाएगा। पत्रकारों ने स्पष्ट किया कि वे किसी भी सूरत में चुप नहीं बैठेंगे। 

*कलेक्टर से मुलाकात, मिला आश्वासन* 
बैठक के बाद पत्रकारों ने कलेक्टर डॉ.अरूण गर्ग से मुलाकात की और पुराने डाक बंगले, किसान सेवा केंद्र और पर्यटन विभाग जैसे वैकल्पिक स्थानों का सुझाव दिया, जहां एसीबी न्यायालय संचालित हो सकता है। कलेक्टर ने आश्वासन दिया कि पत्रकारों के हितों को नुकसान नहीं होगा और इस मुद्दे पर पुनर्विचार किया जाएगा। हालांकि, पत्रकारों ने भवन के नाप-जोख को प्रेस के हितों पर कुठाराघात बताया। 

*आंदोलन की चेतावनी*  
पत्रकारों ने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे कानूनी दायरे में रहकर भ्रष्ट अधिकारियों के काले कारनामों को उजागर करेंगे और आवश्यकता पड़ने पर आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे। यह मामला पत्रकारिता के चौथे स्तंभ की स्वतंत्रता और सुविधाओं की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण लड़ाई बन गया है।

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